रात के करीब एक बज चुका था, *अनंदिता रोज़ की तरह की देर रात तक ऑफिस में बैठी काम किये जा रही थी। जैसे ही उसके साथी कर्मचारी ने आकर ऑफिस कैब के बारे में बताया, तो उसे होश आया कि अब घर भी जाना है। परिवार से दूर बेंगलूरु में अकेले काम करते हुये उसे अब तो दो साल हो गये थे।
सारा दिन काम करके अनंदिता काफी थक गई थी और उसे अपने बॉस पर गुस्सा आ रहा था। प्रॉजेक्ट डिलिवरी का टाइम पास आ रहा था और उसके बॉस दो दिन के बाद अपनी शादी के लिए छुट्टियों पर जा रहे थे। यह सब सोच ही रही थी कि अनंदिता के साथ बैठे इंप्लॉय का स्टॉप आ गया। उसके उतरते ही अनंदिता चौकस होकर रास्ते पर ध्यान देने लगी क्योंकि शहर में अकेले रहते-रहते चौकन्ना रहना उसकी आदत हो गई थी।
इधर-उधर देखते हुए अचानक उसकी नज़र व्यू मिरर पर पड़ी, तो उसने देखा कि ड्राइवर शीशे में से बार-बार उसे देख रहा है। अचानक थोड़ी देर बाद ड्राइवर उससे बात करते हुये कहने लगा, ‘मैडम, क्या आप अकेले रहती हैं। लड़कियों का अकेले रहना और रात में अकेले सफर करना ठीक नहीं है।’ अनंदिता को यह बात कुछ अजीब सी लगी लेकिन उसने अपने संभालते हुये कहा कि वह अपने परिवार के साथ रहती है। फिर ड्राइवर बोला, ‘मैडम आज मेरा जन्मदिन है, क्या आप मेरे साथ पार्टी करेंगी।’ यह सुनते ही उसे घबराहट होने लगी और उसने नाटक करते हुये फोन पर ऐसे बात करने लगी, जैसे वह अपने पापा से बात कर रही हो। ड्राइवर की शायद इसके बाद बात करने की हिम्मत नही हुई, वह अनंदिता को ड्रॉप करके चला गया।
अगले दिन अनंदिता ने अपने बॉस पीयूष को रात की सारी बात बताई, तो पीयूष ने मामले की गंभीरता को समझते हुये संबंधित विभाग से बात करके टैक्सी ड्राइवर को हटवा दिया। इसके साथ ही देर रात होने पर पीयूष ने अनंदिता को घर ड्रॉप किया और फोन करके चेक भी किया कि वह ठीक से अंदर पहुंच गई या नहीं।
उस रात अनंदिता सोच रही थी कि अपने पापा, भाई और कुछ दोस्तों के अलावा भी इस दुनिया में अच्छे पुरूष है, जो मुश्किल समय में मदद करते है, जैसे उसके बॉस पीयूष ने की। #metoopositive पहल का मकसद समाज को यही समझाना है कि समाज में अच्छे लोग भी है, जो आपकी मुसीबत में मदद करते है और अपने साथ काम करने वाले पुरूषों पर विश्वास बनाना है।
अगर आपके पास कोई ऐसी कहानी है, जिसमें किसी पुरूष ने आपकी मदद की है या आपके सम्मान या मदद के लिये खड़े हुये है, तो आप भी हमारे साथ #metoopositive पहल के तहत अपनी कहानी sendyourstory@stage.thinkright.me पर शेयर कीजिये। चलिए, एक नई सोच से समाज को पॉज़िटिव बनाने की कोशिश करते हैं। सोचो सही, जियो सही।
*लेखिका के अनुरोध पर नाम और जगह को बदला गया है।
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