स्वामी विवेकानंद कहते थे कि आप वही बनते हैं, जो सोचते हैं। इसलिए इस बात का ख्याल रखें कि आप क्या सोचते हैं, क्योंकि सोच कभी नहीं रुकती, वो दूर तक जाती है। साथ ही विवेकानंद ये भी कहते थे कि खुद पर विश्वास करें और अगर कोई विचार आपके मन को अच्छा लगता है, तो उसके पीछे जी-जान से लग जाये। फिर देखिये, मंज़िल आपके कदमों में होगी।
आज आप स्वामी विवेकानंद की एक ऐसी कहानी पढ़ने जा रहे हैं, जिसमें ऊपर बताई हुई कई सीखों का मिश्रण हैं। जहां व्यक्ति को अपने ऊपर विश्वास रखना होता है, अपने आइडिया या चुने गए रास्ते के प्रति भरोसा रखना होता है और हिम्मत नहीं हारनी होती।
स्वामी विवेकानंद से जुड़ी कहानी
एक बार स्वामी विवेकानंद ने एक बूढ़े आदमी को पहाड़ों पर ट्रेकिंग करते हुए देखा। वह आदमी थकान से चूर हो चुका था और नज़र ऊपर कर पहाड़ की चोटी की तरफ देख रहा था।
स्वामी जी को देखते ही उस आदमी ने पूछा कि वह क्या करें क्योंकि चढ़ाई बहुत ऊंची थी और उसमें रास्ता तय करने की हिम्मत नहीं बची थी। स्वामी जी ने उसे कहा कि वह अपने पीछे, नीचे की तरफ देखें। जो रास्ते उसे दिख रहा है, वह कभी उसके कदमों के नीचे थे। अगर वह हिम्मत करके आगे बढ़ेगा, तो सामने दिखने वाला रास्ता भी कभी उसके कदमों के नीचे ही होगा।
फिर स्वामी जी बोले कि अगर आप एक दिशा में कदम बढ़ाकर आगे बढ़ सकते हैं, तो थकान होने के बाद भी हिम्मत बनायें रखें और उसी दिशा में अपनी मंज़िल की ओर बढ़ें। फिर वह समय दूर नहीं होगा, जब आप अपनी मंज़िल पर खड़े होंगे।
इस कहानी से यह सीख मिलती है कि अगर आप अपनी राह पर हिम्मत बनाए रखते है और अडिग रहते हैं, तो वह समय ज़रूर आयेगा जब जीत आपकी होगी।
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