बड़ों के पैर छूने से मिलते हैं 5 फायदे

बड़ों के पैर छूने से मिलते हैं 5 फायदे

पैर छूने के वैज्ञानिक फायदों की लीजिए जानकारी
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पुराने समय से ही यह परंपरा चली आ रही है कि जब भी हम किसी विद्वान व्यक्ति या उम्र में बड़े व्यक्ति से मिलते हैं, तो उनके पैर छूते हैं। यह बात तो सभी जानते हैं कि पैर छूना एक परंपरा है और आज भी इसका पालन होता है। इस परंपरा के पीछे वैज्ञानिक कारण भी है, जिसे लोग नहीं जानते।

मिलती है पॉज़िटिव ऊर्जा

जब हम किसी बड़े के पैर छूते हैं, तो वह आशीर्वाद देने के लिए हाथ हमारे सिर पर रखते हैं। इस तरह विद्युत चुम्बकीय ऊर्जा का चक्र बन जाता है और उनकी पॉज़िटिव ऊर्जा हमारे अंदर आने लगती है। वैज्ञानिक न्यूटन के सिद्धांत के अनुसार सभी वस्तुओं में गुरुत्वाकर्षण होता है। इसमें सिर को उत्तरी ध्रुव और पैरों को दक्षिणी ध्रुव माना गया है। ये गुरुत्व या चुम्बकीय ऊर्जा हमेशा उत्तरी ध्रुव से दक्षिणी ध्रुव की ओर होकर अपना चक्र पूरा करती है।  

शारीरिक कसरत

पैर छूना या प्रणाम करना, केवल एक परंपरा नहीं है,यह एक वैज्ञानिक क्रिया है जो हमारे शारीरिक, मानसिक और वैचारिक विकास से जुड़ी है। पैर छूने से केवल बड़ों का आशीर्वाद ही नहीं मिलता, बल्कि बड़ों के स्वभाव की अच्छी बातें भी हमारे अंदर उतर जाती है। पैर छूने का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इससे शारीरिक कसरत होती है। आमतौर पर तीन तरीकों से पैर छुए जाते हैं।

शरीर का तनाव होता है दूर
शरीर का तनाव होता है दूर |इमेज : फाइल इमेज

पैर छूने का तरीका और उसके फायदे

झुककर पैर छूना

झुकने से सिर में खून का प्रवाह बढ़ता है, जो हमारी आंखों के साथ ही पूरे शरीर के लिए फायदेमंद है। झुककर पैर छूने से हमारी कमर और रीढ़ की हड्डी को भी आराम मिलता है।

घुटने के बल बैठकर पैर छूना

इस प्रकार पैर छूने पर हमारे शरीर के जोड़ों पर बल पड़ता है, जिससे जोड़ों के दर्द से राहत मिलती है।

साष्टांग प्रणाम

इस प्रकार से शरीर के सारे जोड़ थोड़ी देर के लिए सीधे तन जाते हैं, जिससे शरीर का तनाव दूर होता है।

अहंकार होता है कम 

मनुष्य के पैर उसके शरीर का आधार माने जाते हैं क्योंकि हमारा पूरा शरीर इन्हीं पर टिका होता है। इतना ही नहीं पूरे शरीर का भार हमारे पैरों पर आता है। जब हम किसी के सामने झुकते हैं, तो हम अहंकार का त्याग करते हैं। 

ऐसे में अपने बड़ों के पैर छूकर हम उनकी उम्र, उनके ज्ञान, उनकी उपलब्धियों और उनके अनुभव को सम्मान देते हैं। बदले में वे हमें हमारी तरक्की और अच्छे जीवन के लिए आशीर्वाद देते हैं। मतलब यह हुआ कि झुककर बड़ों के पैर छूने से अहंकार तो कम होता ही है और साथ ही बड़ों के ज्ञान का कुछ हिस्सा भी हमें मिल पाता है।

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