मेहनत, हौसलें और संघर्ष के साथ अगर किसी की नेक नसीहत भी शामिल हो जाए, तो जीत तय होती है। कुछ ऐसी ही कहानी है, नासिक शहर से करीब 30 किलोमीटर दूर स्थित इगतपुरी तालुका के एक ट्राइबल गांव आशाकिरणवाडी की।
डॉ. कलाम की सलाह से बदला इतिहास
दरअसल, इगतपुरी तालुका के पहाड़ी अवशेषों में बसे आशाकिरणवाडी गांव तक जाने के लिए न तो ढंग की सड़क थी, न ही गांव में जलापूर्ति की कोई व्यवस्था। मानसून के दौरान गांववालों की किस्मत में केवल धान की खेती लिखी होती थी जबकि बाकी महीने काम की तलाश में भटकते थे। लेकिन साल 2005 में पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम इस गांव में आए और उन्होंने ग्रामीणों को इन परेशानियों का हल समझाया। उनकी सलाह के बाद गांव की तस्वीर और तकदीर, दोनों बदल गई। आज यहां पक्के घर हैं, पक्की सड़कें हैं और नलों से वाटर सप्लाई होती है। लेकिन 13 साल पहले यह सब बातें अकल्पनीय थी।
आज है पर्याप्त पानी
दरअसल, डॉ. कलाम ने इस गांव का नाम वैतागवाड़ी से आशाकिरणवाडी करने का सुझाव तो दिया ही, साथ ही आदिवासियों को गांव की हालत बदलने के लिए भी प्रेरित किया। वैतागवाड़ी का अर्थ होता है, परेशान करने वाली बाधाए, इसलिए डॉ. कलाम ने इसे आशाकिरण करने का सुझाव दिया। कुछ समय पहले जब इगतपुरी तालुका को सूखा प्रभावित घोषित किया गया, तब भी इस गांव में पर्याप्त पेयजल उपलब्ध था। इसकी वजह साल 2005-06 में भारत निर्माण योजना के तहत गांव में बना 10,000 लीटर क्षमता वाला वॉटर टैंक था। अगले वर्ष इस योजना को आसपास के इलाके के 4-5 अन्य गांवों में भी लागू किया गया था। पानी का टैंक बन जाने से आदिवासियों को पानी लाने के लिए अब कहीं नहीं जाना पड़ता है। आज यहां के लोगों के पास पीने के लिए ही नहीं, बल्कि खेतों के लिए भी पर्याप्त पानी है।
गांव में उपलब्ध हैं सभी सुविधाएं
वर्ष 2005 में डॉ. कलाम के दौरे के वक्त यह गांव पूरी तरह से सूखे की चपेट में था। डॉ. कलाम की सलाह पर आठ-दस किसानों का ग्रुप बनाकर छोटे पंपों की सहायता से दरना नदी से गांव में पानी लाया गया। तभी तो आज गांव के हर घर में पानी का नल है। इसके अलावा, गांव के 50 फीसदी किसान सब्जियां भी उगा रहे हैं। पानी की टंकी के साथ ही लिफ्ट सिंचाई योजना पर भी काम शुरू किया गया था, जो पूरा होने वाला है। इससे 1,200 एकड़ जमीन की सिंचाई हो पाएगी। गांव में कंक्रीट के जरिये कनेक्टिंग सड़कों का निर्माण किया गया है और अब यहां प्राइमरी हेल्थ सेंटर भी है।
इस गांव ने सच कर दिखाया कि सलाह को अगर पॉज़िटिव तरीके से लिया जाए, तो कुछ भी करना मुमकिन हैं।
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