अंतरिक्ष में इतिहास रचने को तैयार महिलायें

अंतरिक्ष में इतिहास रचने को तैयार महिलायें

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आज की तरीख में कोई ऐसी फील्ड नहीं है, जहां महिलाओं ने अपने हुनर का परचम न लहराया हो। ज़मीन से लेकर आसमान तक वो अपने मज़बूत इरादों और हौसलों की बानगी पेश कर चुकी है। हाल ही में अवनी चतुर्वेदी ने अकेले फाइटर प्लेन उड़ाकर इतिहास रच दिया था। वह ऐसे करने वाली वह पहली महिला हैं। घर की चारदीवारी और समाज के बंधनों से मुक्त आज की महिलाएं अपने सपनों को नई उड़ान दे रही है और अब वह अंतरिक्ष में भी नया कीर्तिमान रचने जा रही हैं।

पूरी महिला टीम

अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसी नेशनल एयरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (नासा) ने इस बात की पुष्टि कर दी है कि दुनिया के इतिहास में पहली बार एक साथ कई महिलायें अंतरराष्ट्रीय स्पेस सेंटर पर स्पेसवॉक करने के लिए पूरी तरह तैयार है। रिपोर्ट के मुताबिक, 29 मार्च को दो महिलायें ऐने मैकक्लेन और क्रिस्टिना कोच स्पेसवॉक करेंगी। इन दोनों महिलाओं के अलावा नासा के इस मिशन पर मैरी लॉरेंस लीड फ्लाइट डॉयरेक्टर, जैकी केगलर लीड फ्लाइट कंट्रोलर और दो महिला स्पेसवॉकर भी मौजूद रहेंगी। यानी ऐसा पहली बार होगा जब मिशन पर सिर्फ महिलाओं की टीम जायेगी। इस पूरे मिशन को जमीन से कनाडाई स्पेस एजेंसी की फ्लाइट कंट्रोलर क्रिस्टन फेसिअल संचालित करेंगी।

अंतरिक्ष में इतिहास रचने को तैयार महिलाएं
आसमान में परचम लहराने को तैयार  | इमेज: इंडिया टुडे

क्या है स्पेसवॉक?

स्पेसवॉक में अंतरिक्ष यात्री को अंतरिक्ष यान के बाहर जाकर काम करना होता है। इसमें स्पेस में नए उपकरणों की जांच करना और पहले से मौजूद सैटेलाइट को ठीक करना शामिल है। नासा के मुताबिक, 29 मार्च को होने वाला यह स्पेसवॉक करीब 7 घंटे का होगा। अब तक सबसे ज़्यादा स्पेसवॉक पुरुषों ने ही किए है इसलिए यह स्पेसवॉक नासा के साथ ही पूरी दुनिया की महिलाओं के लिए बहुत गर्व की बात होगी।

अंतरिक्ष में जाने वाली पहली महिला

1963 में पहली बार वेलेन्टीना टेरेशकोवा नाम की महिला अंतरिक्ष में गई थी। जानकारी के मुताबिक, अब तक करीब 59 महिलाएं अंतरिक्ष में जाकर कीर्तिमान स्थापित कर चुकी हैं। स्पेसवॉक करने वाली ऐने मैकक्लेन अब तक 2000 से ज़्यादा घंटों तक और 20 अलग-अलग एयरक्राफ्ट उड़ा चुकी हैं। वहीं क्रिस्टिना कोच को स्पेस सांइस इंस्ट्रूमेंट डेवलप्मेंट और साइंटिफिक फील्ड इंजीनियरींग में महारत हासिल है।

भारतीय मूल की कल्पना चावला और सुनीता विलियम्स में अंतरिक्ष में जाकर देश का नाम रोशन कर चुकी हैं। महिलाओं कि इन उपलब्धियों को देखते हुए तो बस यही कहा जा सकता हैः

‘आंधी और तूफानों से पस्त नहीं होंगे हौसले हमारे, ठान ली एक बार जो आसमान भी झुका सकते हैं।’

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