एग्ज़ाम की कैसे करें तैयारी- टीचर का संदेश बच्चों के नाम

एग्ज़ाम की कैसे करें तैयारी- टीचर का संदेश बच्चों के नाम

टीचर ने दिए बच्चों को एग्ज़ाम पर टिप्स और संदेश
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मेरे प्यारे बच्चों,

अब फिर वो समय आ गया है, जब बच्चे थोड़ा स्ट्रैस में आ जाते हैं। दसवीं के बच्चे सोचते हैं कि एग्ज़ाम के बाद मार्क्स ही डिसाइड करेगा कि आगे कौन से विषय लेने हैं,तो वही बारहवीं के छात्र दोहरे जज़्बातों से जूझ रहे होते हैं। उन्हें बाहरी दुनिया में कदम रखने की जितनी जिज्ञासा और खुशी होती है, उतना ही दुख अपने स्कूल से दूर जाने का होता है। लेकिन यकीन मानों मेरे बच्चों, इनमें से कुछ खास दोस्त जीवन भर के लिए आपसे जुड़ जाएंगे और हम टीचर्स आपके लिए हर उस मोड़ पर खड़े रहेंगे, जहां आपको मार्ग-दर्शन की ज़रूरत होगी।

मैं जानती हूं की आप लोग एग्ज़ाम्स में अच्छा प्रदर्शन कर के अपने माता-पिता और शिक्षकों की उम्मीदों पर खरा उतरने की पूरी कोशिश कर रहे हैं। अगर किसी भी कारण से आप अपनी उम्मीदों पर खरे न उतर पाएं, तो मेरी बात ज़रूर याद रखना कि यह तो जीवन की मात्र एक छोटी सी परीक्षा है, जिसके परिणाम से आपका पूरा जीवन तय नहीं  होगा। जीवन में आगे बहुत मौके आएंगे, जब आप अपनी काबिलियत के दम पर कुछ बेहतरीन हासिल कर पाएंगे। बच्चों, ऐसे भी न जाने कितने बच्चे हैं, जो बोर्ड्स में सामान्य प्रदर्शन के बावजूद जीवन में बहुत अच्छा कर जाते हैं। इसलिए आप पूरी मेहनत करें, दिल लगा कर पढें, लेकिन अपने रिज़ल्ट को अपने आने वाले अच्छे जीवन की रूकावट न बनने दें।

 टीचर का प्यारा संदेश|
बच्चों के नाम आया टीचर का प्यारा संदेश|इमेज : फाइल इमेज

मैं अपने जीवन के अनुभवों के आधार पर आपको कुछ टिप्स देना चाहती हूं, जिन्हें आप परीक्षा के दौरान ज़रूर याद रखें।

परीक्षा के दौरान ज़रूर रखें यह बात याद

  • सबसे पहली बात कि स्ट्रैस से बचें।
  • हल्का भोजन लें।
  • मोबाइल का प्रयोग कम करें, इससे आंखों को थकान होती है।
  • टाइम टेबल ज़रूर बनाएं, और उसका पालन करें।
  • नींद ज़रूर लें, ताज़ा दिमाग बेहतर याद रख पाएगा।
  • अपना आत्मविश्वास न खोएं। पड़ोसी या कोई और क्या कहता है, उससे आपको कोई फर्क नहीं पड़ना चाहिए।
  • यदि एक पेपर अच्छा नहीं गया तो कोई बात नहीं, जो बीत गया वो बीत गया। उस पेपर का असर दूसरे पेपर पर न पड़ने दें।
  • हो सके तो हल्की कसरत और प्राणायाम करें।
  • बैठकर और लिख कर पढ़ें।
  • हर एक घंटे बाद शरीर को आराम दें और ताज़ी हवा में टहलें।
  • नेगेटिव विचारों से दूर रहें।

…और सबसे अहम बात कि यह ज़िंदगी की अंतिम परीक्षा नहीं है, और हर बच्चे की अपनी कैपेसिटी होती है। किसी दूसरे से खुद की तुलना मत करना, आप अपने आप में अलग हो और अच्छा करोगे, इस सोच के साथ जियो।

ऑल द बेस्ट मेरे बच्चों!
श्रीमती मातेश्वरी कौशिक
रिटायर्ड अध्यापिका- साइंस केंद्रीय विद्यालय, विज्ञान विहार, दिल्ली।

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