एडवांस तकनीक से बच्‍चे को मिला नया जीवन

एडवांस तकनीक से बच्‍चे को मिला नया जीवन

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क्या आप अपने जीवन को फूड पाइप के बिना जीने की कल्पना कर सकते हैं? इसका जवाब नहीं होगा…

लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि दुनिया भर में दस हज़ार लोगों में से एक व्‍यक्ति को एसोफेगल एट्रेसिया नाम की जन्मजात बीमारी होती है। इस बीमारी में अपना जीवन बगैर खाने की नली यानि फ़ूड पाइप के बिना ही गुज़ारनी पड़ती है।

लखनऊ के किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के अस्पताल में एक दिन का मासूम इस बीमारी से जूझ रहा था और यह देखकर शिशु चिकित्सक और सर्जन डॉ. एस.एल. कुरील ने इस जन्मजात बीमारी का इलाज़ ढूंढ निकाला। जब उस शिशु की जांच की गई तो यह आशंका भी थी कि अगर बच्चा पेट के जरिए लार या तरल पदार्थ को अपने फेफड़ों में ले लेगा, तो इससे निमोनिया होने का रिस्क हो सकता है।

डॉ. कुरील ने बताया कि आमतौर पर इस बीमारी में सर्जरी के जरिए ट्यूब फीडिंग के लिए पेट में एक ट्यूब डाला जाता है, जिसमें फूड पाइप के उपरी सिरे को त्वचा से बाहर करके लार को शरीर से बाहर निकाला जाता है। हालांकि यह नैचुरल नहीं है, इसलिए इसमें कई सारी समस्याएं या कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी होने की भी संभावनाएं होती है।

परंतु, इस जन्मजात बीमारी के लिए डॉक्टर्स की टीम ने किमुरा तकनीक नामक एक बेहतर विकल्प ढूंढ निकाला। इस तकनीक की खोज जापान में 24 साल पहले इस तरह की बीमारी के इलाज के दौरान विकसित की थी। इस तकनीक में मूल रूप से टिशू इंजीनियरिंग के माध्यम से एसोफैगस को बढ़ाया जाता है। डॉ. कुरील के मुताबिक दुनियाभर में अभी तक ऐसे सिर्फ 20 कामयाब सर्जरी देखी गई है।

डॉ. कुरील के मुताबिक उस शिशु का साल 2012 में पहला ऑपरेशन किया गया था, जिसमें पेट में ट्यूब के द्वारा फिडिंग की गई थी। उसके बाद साल 2013 में टिशू इंजीनियरिंग टेक्‍नॉलिजी का उपयोग करके फूड पाइप को एक और ऑपरेशन के माध्यम से आगे बढ़ाया गया। इसके बाद साल 2015 और 2017 में दो अन्य ऑपरेशन किए गए। इस साल 6 सितंबर को इसके इलाज का अंतिम चरण किया गया था, जिसमें एक लंबी और नैचुरल एसोफैगस को मुंह के द्वारा पेट से जोड़ा गया। सर्जरी के बाद शिशु धीरे-धीरे रिकवर होने लगा तथा खाना भी खाने लगा। उन्होंने यह भी बताया कि रोगी की उम्र के साथ एसोफैगस भी बढ़ेगा, जिससे भविष्य में किसी भी तरह की समस्या नहीं पैदा होगी।

उस बच्चे की मां ने अपने बच्चे को जिंदगी के लिए लड़ते हुए देखा था, परंतु उस सर्जरी के बाद मां को यह देखकर ख़ुशी हुई कि अब उसका बच्चा भी औरों की तरह सामान्य जिंदगी जी सकेगा।

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