ऐसा देस है मेरा – I

ऐसा देस है मेरा – I

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भारत 29 राज्यों और सात केंद्र शासित राज्यों का देश ही नहीं, यह तो विभिन्न संस्कृतियों का मेल है। यहां आपको कई धर्म के लोग और लगभग 22 भाषायें सुनने को मिलेंगी। टूरिस्ट जब भारत देखने आते है, तो यह उनके लिये लाइफ टाइम एक्सपीरिएंस बन जाता है। आज हम आपको भारत के कुछ ऐसे ही रंगों से रूबरू करवा रहे है।

होली ज़रूर खेलें

भारत को यूं ही ‘रंगो की भूमि’ नहीं कहा जाता है, यहां रंग-बिरंगी संस्कृतियों के साथ-साथ त्योहार भी रंगो से भरे होते हैं। ऐसा ही एक त्योहार है ‘होली’। भारत में होली कई जगह की मशहूर है लेकिन वृंदावन में फूलों की होली खेलने जैसा मज़ा आपको कहीं और नहीं मिलेगा। इसे वसंत ऋतु की शुरुआत का प्रतीक माना जाता है। इस त्योहार में आप रंगों के साथ-साथ गुझिया और ठंडाई का भी लुत्फ उठा सकते हैं।

रंगों का त्योहार

ओणम संध्या भोज

इस भोज का लोग बेसब्री से इंतज़ार करते हैं। केरल ही नहीं, देश के कई भाग इस समय खूबसूरत फूलों से सजाये जाते हैं। इसके साथ खाने की थाली के लिए असाधारण तरीके कई पकवान बनाये जाते हैं। आमतौर पर थाली में कम से कम 24 और ज़्यादा से ज़्यादा 60 तरह की चीज़ें परोसी जाती हैं। इस त्योहार में केरला के समृद्ध भोजन की एक झलक दिखाई देती है।

संध्या भोज

सबसे बड़ी रसोई में खायें

अमृतसर के स्वर्ण मंदिर यानी कि गोल्डन टेंपल की रसोई में हर दिन लगभग एक लाख लोग मुफ्त खाना खाते हैं, जिसे लंगर कहा जाता है। यह परंपरा सिखों के गुरु नानक ने शुरु की थी, जिसका मकसद गरीबों को खाना खिलाना और समाज की सेवा करना था। हर दिन यहां कम से कम दो लाख रोटी, दाल और सब्ज़ी बनाई जाती है। आप भी जब अमृतसर जायें, तो लंगर ज़रूर छककर आयें।

सबसे बड़ी रसोई

पुश्कर मेला देखने जायें

यह मेला राजस्थान में स्थित थार रेगिस्तान में लगता है, जहां दुनिया में सबसे ज़्यादा ऊंठ इकट्ठा होते हैं। यहां पूरे राज्य से कई शिल्पकार आकर अपनी हस्तशिल्प और हस्तकला की दुकान लगाते हैं, जिसे दो लाख से ज़्यादा लोग देखने आते हैं।

भारत के रंग- मेले के संग

कुंभ मेला में लगाये आस्था की डुबकी

यह मेला हर बारह साल में चार तीर्थ स्थलों पर मनाया जाता है। करोड़ों लोग इस मेले में शामिल होते है, इसलिये इसे दुनिया का सबसे बड़ा मेला भी कहा जाता है। फिलहाल इस साल प्रयागराज में अर्द्धकुंभ मेला चल रहा है। इसमें आप त्रिवेणी में डुबकी लगाने के साथ साथ अक्षयवट और सरस्वती कूप के दर्शन भी कर सकते है, जिसे करीब 150 साल बाद, इस बार पहली बार दर्शनों के लिये खोला गया है।

आस्था की डुबकी

नया साल 17 बार मनायें

यह एकमात्र देश है, जहां आप नया साल 17 बार मना सकते हैं। यहां विभिन्न पारंपरिक संस्कृतियां और धर्म अपने नए साल की शुरुआत अपनी मान्यता के अनुसार करते है।

नये साल के नये रंग

ट्रेडिशनल शादियां

इसे नहीं देखा, तो कुछ नहीं देखा। भारतीय शादी किसी उत्सव से कम नहीं होती, जो एक दिन से पांच दिन तक चल सकती हैं। इस में खेल, पारंपारिक समारोह, साज-सजावट, खाना-पीना बेहद खूबसूरती से शामिल होता है। एक बिग फैट इंडियन वेडिंग को देखे बिना किसी विदेशी मेहमान की यात्रा पूरी नहीं मानी जा सकती।

परंपराओं से रूबरू कराती शादियां

यह तो भारत के विभिन्न रंग और इसके दूसरे भाग में आपको भारत में स्थित अनोखी जगहों के बारे में बतायेंगे।

इमेज: फाइल इमेज

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