ऐसा बैंक जो गांव की महिलाओं को बना रहा है सशक्त

ऐसा बैंक जो गांव की महिलाओं को बना रहा है सशक्त

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भारत में एक ऐसा बैंक भी है, जो गांव की महिलाओं को ना सिर्फ लोन देता है बल्कि उनकी जरूरत के हिसाब से रीपेमेंट पॉलिसी का भी ध्यान रखता है। इस बैंक को चेतना सिन्हा ने मानदेशी बैंक के नाम से साल 1997 में शुरू किया था। महाराष्ट्र के महासवाड़ में इस बैंक का पहला ब्रांच खोला गया था और आज इसके महाराष्ट्र के अलग-अलग इलाकों में 9 ब्रांच हैं, जो करीब दो लाख से भी अधिक महिलाओं की मदद कर रहा हैं।

एक सवाल ने बदल दी ज़िंदगी

मुंबई में जन्मी चेतना सिन्हा ने इकोनॉमिक्स में मास्टर की डिग्री लेने के बाद करियर की शुरूआत बतौर प्रोफेसर की थी। चेतना को मानदेशी बैंक खोलने का आइडिया एक महिला से मिला था। उस महिला ने चेतना से बैंक में अकाउंट खोलने के बारे में सवाल पूछा था। उस महिला को ना तो चैरिटी की जरूरत थी और ना किसी तरह की आर्थिक मदद की। वह महिला जो रोज़ कमाती थी, बस उसे जमा करके अपने परिवार का भविष्य सुरक्षित करना चाहती थी। यहीं से चेतना सिन्हा ने एक ऐसे बैंक की शुरूआत करने की सोची, जो दिहाड़ी पर पैसे कमा रही महिलाओं की जरूरतों को पूरा करें।

शुरूआत में आई दिक्कतें

अपनी योजना को हकीकत बनाने के लिए चेतना सिन्हा ने काफी मेहनत की। हालांकि शुरूआत में उन्हें लाइसेंस इसलिए नहीं मिल पाया क्योंकि बैंक जिन महिलाओं को लोन देना चाहता था, वह महिलाएं पढ़ी लिखी नहीं थीं। आखिरकार, अपनी इच्छाशक्ति, धैर्य और महिलाओं से सपोर्ट मिलने के बाद चेतना ने बैंक की शुरूआत की।

दो लाख से अधिक महिलाओं की मदद

चेतना ने बैंक की शुरूआत 6 लाख कैपिटल शेयर से की और आज मानदेशी बैंक दो लाख से अधिक महिलाओं की मदद अपने आठ ब्रांच और 140 फील्ड ऑफिसर के जरिए कर रहा हैं। महाराष्ट्र के अलावा मानदेशी बैंक फिलहाल कर्नाटक में भी सफल रूप से काम कर रहा है और अब झारखंड और कश्मीर के लिए काम चल रहा है।

इमेजः फाइल इमेज

15-20 रूपए भी दे सकती हैं महिलाएं

जी हां, इस बैंक की यह भी एक खासियत है कि लोन लेने के बाद महिलाओं को पैसे चुकाना बोझ ना लगे इसलिए बैंक में रीपेमेंट 15-20 रूपए देकर भी किया जा सकता है। इस बैंक में हर दिन 15000 से अधिक ऐसे ट्रांजेक्शन किए जाते हैं।

घर तक जाता है बैंक

हर महिला बैंक तक नहीं पहुंच सकती है लेकिन चेतना सिन्हा ने इसका भी हल निकाला और डोरस्टेप सर्विस की शुरूआत की। चेतना सिन्हा का कहना है कि हर महिला बैंक तक नहीं पहुंच सकती लेकिन बैंक महिला तक पहुंच सकता है, इसलिए हमने इसकी शुरूआत की।

सशक्त और कॉन्फिडेंट बनाने में अहम भूमिका

महिलाओं को सशक्त बनाने से लेकर उन्हें कॉन्फिडेंट और आत्मनिर्भर बनाने में चेतना सिन्हा अहम भूमिका निभा रही हैं। यह बिना मजबूत इरादे और कभी हार न मानने वाली सोच के बिना संभव नहीं था।

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