अंतरराष्ट्रीय शांति दिवस: यादगार रहेगा इन शांति नोबेल पुरस्कार विजेताओं का योगदान

अंतरराष्ट्रीय शांति दिवस: यादगार रहेगा इन शांति नोबेल पुरस्कार विजेताओं का योगदान

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साल 2002 से पहले सितंबर महीने के तीसरे मंगलवार को विश्व शांति दिवस के लिए चुना गया था लेकिन साल 2002 में इसे 21 सितंबर को मनाने की घोषणा हुई। इसका मकसद दुनिया के सभी देशों में शांति बनाए रखना हैं और जो लोग इस दिशा में काम करते हैं, उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार से नवाजा जाता हैं। आज इस मौके पर हम आपको दुनिया के कुछ ऐसे विजेताओं के बारे में बताएंगे, जिन्होंने अपने तरीके से दुनिया में शांति बनाए रखने के लिए काम किया हैं।

कैलाश सत्यार्थी और मलाला युसुफजई | इमेजः जनसत्ता

कैलाश सत्यार्थी और मलाला युसुफजई

साल 2014 में नोबेल शांति पुरस्कार पाने वाले कैलाश सत्यार्थी और मलाला युसुफजई थे, जो बच्चों और महिलाओं के अधिकारों के लिए लगातार काम कर रहे हैं। भारत में बाल अधिकारों के लिए काम कर रहे कैलाश सत्यार्थी बच्चों से काम कराए जाने के सख्त विरोधी हैं। उन्होंने दुनियाभर के देशों में 80 हजार से भी अधिक बच्चों के लिए काम किया है। वहीं मलाला पाकिस्तान में महिलाओं को पढ़ाने और उनके अधिकारों के लिए काम कर रही हैं। इन दोनों के काम के देखते हुए नोबल पुरस्कार ज्यूरी ने कैलाश सत्यार्थी और मलाला युसफजई को संयुक्त रूप से नोबल पुरस्कार से नवाजा।

बराक ओबामा | इमेजः फाइल इमेज

बराक ओबामा

बराक ओबामा को अंतरराष्ट्रीय कूटनीति और लोगों के बीच सहयोग को मजबूती देने के असाधरण प्रयासों की वजह से उन्हें साल 2009 में नोबल शांति पुरस्कार के लिए चुना गया। वुड्रो विल्सन के बाद नोबल पुरस्कार हासिल करने वाले बराक ओबामा अमेरिका के दूसरे राष्ट्रपति हैं। उन्होंने दुनिया को न्यूक्लियर हथियारों से मुक्त करने और शांति कायम करने के प्रयास किए।

नेल्सन मंडेला | इमेजः फाइल इमेज

नेल्सन मंडेला

नेल्सन मंडेला दक्षिण अफ्रीका के प्रथम अश्वेत राष्ट्रपति थे। राष्ट्रपति बनने से पहले नेल्सन मंडेला ने दक्षिण अफ्रीका में सदियों से चले आ रहे रंगभेद का विरोध किया। इसके चलते उन्होंने 27 साल रॉबेन द्वीप के जेल में बिताए, जहां उन्होंने कोयला खादान में काम किया था।  मंडेला दक्षिण अफ्रीका समेत पूरी दुनिया में रंगभेद का विरोध करने के प्रतीक बन गए।  साल 1993 में शांति नोबेल पुरस्कार पाने वाले नेल्सन मंडेला ने कहा था, ‘विकास और शांति को अलग नहीं किया जा सकता। शांति और अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा के बगैर कोई भी देश अपने गरीब और पिछड़े हुए नागरिकों को मुख्य धारा में लाने के लिए कुछ नहीं कर सकता।‘

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