बच्चे बनेंगे सुदक्ष

बच्चे बनेंगे सुदक्ष

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कहते हैं कि बच्चे एक खाली स्लेट की तरह होते हैं, जो लिखा जाएं तुरंत सीख जाते हैं। वहीं अगर वृद्ध लोगों के बारे में बात करें, तो समाज के कुछ ऐसे भी लोग हैं, जो समझते हैं कि एक वृद्ध व्यक्ति किसी के लिए क्या कर सकेगा? लेकिन हमारे समाज में ऐसे लोगों की तादाद ज़्यादा है, जो मानते हैं कि एक वृद्ध व्यक्ति के अनुभव से जितना सीखा जाए, उतना कम है। ऐसी ही सोच रखने वाले मोहित बंसल ने अपने दोस्तों के साथ मिलकर एक एनजीओ – ‘सुदक्ष’ की स्थापना की।

कहां से मिली सोच?

इस बारे में Think Right.me को दिए खास इंटरव्यू में मोहित बंसल ने बताया, “ बचपन जब भी मैं फुटपाथ पर रह रहे लोगों को देखता, तो हमेशा मन में उनके लिए कुछ करने की चाह उठती थी। जो बच्चे पढ़ नहीं पाते, उन्हें पढ़ाया जाना बहुत ज़रूरी है, इसी से देश का भविष्य बन सकता है। जब मैं आत्मनिर्भर बना, तो उनके लिए कुछ करने की सोच रहा था और अपनी इस सोच को मैंने अपने दोस्तों अमित, राम नारायण और राजेश शेरावत को बताया। बस यही से सुदक्ष बनने की कहानी शुरू हो गई।“

कैसे की शुरूआत?

Think Right.me से खास बातचीत में राजेश शेरावत ने बताया, “ शुरूआत में हम आसपास के अनाथ आश्रम जाकर हर महीने बच्चों के जन्मदिन मनाते थे। उनके साथ समय बिताते और उनकी पढ़ाई जुड़ा सामान गिफ्ट करते थे। फिर हमने इसे ऑर्गनाइज़िड तरीके से करने का सोचा और यही से शुरूआत ही एनजीओ सुदक्ष की।“

बच्चे बनेंगे सुदक्ष
पर्यावरण से जुड़े मुद्दों पर भी करते हैं काम| इमेज : फेसबुक

नाम रखने के पीछे की वजह

सुदक्ष नाम रखने की वजह बताते हुए मोहित बंसल ने बताया, “ हमारा मिशन लोगों को कौशल देकर उन्हें आत्मनिर्भर बनाना चाहते हैं। इसी से उनका भविष्य बेहतर हो सकता है। इसी लिए हमने एनजीओ का नाम सुदक्ष रखा है, मतलब लोगों को निपुण करना।“

क्या करता है सुदक्ष?

यह एनजीओ कई तरह के अभियान चलाती है, जिसमें हेल्थ कैंप, फूड एंड क्लोथ कैंपेन, क्लीनलीनेस ड्राइव, दिल्ली, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में साइकल रैली और जागरूकता अभियान, एजुकेशन अभियान मुख्य है। यह समाज को एकजुट करके आगे बढ़ना चाहता है।

भविष्य की योजना

हालांकि अभी सुदक्ष का काम काफी हद तक स्थानीय स्तर पर है, लेकिन वह इसे आगे लेकर जाने को प्रयासरत है। सभी एक ऐसा केंद्र खोलना चाहते है, जिसमें बच्चे व वृद्ध एक साथ रह सके। बच्चों को पढ़ाया जा सके और वृद्धों के कौशल का इस्तेमाल किया जा सके।

उम्मीद है कि एनजीओ का ये सपना पूरा हो, ताकि देश के भविष्य को आत्मनिर्भर बनाया जा सके और अनुभव का सही इस्तेमाल हो सके।

इमेज : फेसबुक

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