कला ही नहीं संस्कृति की भी झलक है ‘पत्ताचित्र’

कला ही नहीं संस्कृति की भी झलक है ‘पत्ताचित्र’

FacebookTwitterLinkedInCopy Link

ओडिशा का पुरी जगन्नाथ की रथ यात्रा के लिये हमेशा चर्चा में रहता है। इस मौके पर देश विदेश से लाखों भक्त दुनिया की सबसे पुरानी रथ यात्रा का हिस्सा बनने आते हैं। इस आयोजन में भगवान जगन्नाथ, उनके बड़े भाई बालभद्रा और छोटी बहन सुभद्रा को बेहद आलीशान रथों में बिठाकर शोभायात्रा निकाली जाती है। यह रथ यात्रा हर साल हिंदू कैलेंडर के अनुसार आषाढ़ महीने के शुक्ल पक्ष की द्वितीय से दशमी तक यानी 9 दिनों तक चलती है। यह तो रही ओडिशा के पुरी के जगन्नाथ की बात, अब हम आपको इस जिले के एक गांव रघुराजपुर ले चलते हैं, जहां कला और पौराणिक कथाओं का मिलन होता है।

पत्ताचित्रा – सदियों पुरानी कला का रूप 

पत्ताचित्र, एक सदियों पुराना कला का रूप है, जिसकी जड़े जगन्नाथ संस्कृति से जुड़ी हैं। कला के इस रूप में तीन देवी-देवतों के चित्रों को कैनवस पर बनाकर रथ यात्रा से पहले मंदिर में दैनिक पूजा के लिए रखा जाता था। पत्ताचित्र को अक्सर मंदिर की दीवारों पर बना हुआ देखा जा सकता है। इसमें ज़्यादातर भगवान कृष्ण के जीवन और दूसरी पौराणिक आकृतियों और कहानियों को दर्शाया गया हैं।

cloth-picture painting
पत्ताचित्र – कला का एक रूप  | इमेज : फाइल इमेज

ज़िले ने जीवित रखा है पत्ताचित्र को

पुरी के एक कारीगर गांव रघुराजपुर ने सदियों से इसे कला के रुप को जीवित रखा है। यह पेंटिंग कैनवास और ताड़ के पत्तों यानि पाल्म ट्री के पत्तों पर बड़ी बारीकी से की जाती हैं। इसमें कई जटिल डिज़ाइन शामिल हैं। इन पेंटिंग्स में नेचुरल कलर्स किये जाते हैं, जो पौधों के पिग्मेंट और रंगीन पत्थरों से बनाये जाते हैं। चित्रों के अलावा, 80 परिवारों के कारीगर, गांव में मिट्टी के मुखौटे और गुड़िया भी बनाते हैं, जो पर्यटकों और कला-प्रेमियों को बेहद पसंद आते हैं।

पत्ताचित्र से जुड़ी बातें

– पत्ताचित्र का सबसे पुराना फॉर्म ‘जात्रि-पति’ है और इसे दीवारों पर लटकाया जाता है।

– कुछ पेंटिंग्स में रासलीला को भी चित्रित किया जाता है।

– ‘दशावतार’ के दृश्य भी एक लोकप्रिय विषय है, जिस पर ये कलाकार चित्रकारी करते हैं।

– इसमें ‘रामायण’ के महत्वपूर्ण दृश्य भी देखे जा सकते हैं।

– एक पेंटिंग को बनाने में कलाकारों को दो हफ्ते या उससे ज़्यादा समय लगता है। पेंटिंग को बनाने में कितना समय लगेगा, यह चित्र की जटिलता और छवि के आकार पर निर्भर करता है।

– ताड़ के पत्तों पर चित्र बनाने के लिये लोहे की नुकीली कलम का इस्तेमाल किया जाता है। ताड़ के पत्तों पर पेंटिंग को दो- तीन दिन लगते हैं।

– नेचुरल कलर्स के एक आउंस को तैयार करने में कलाकारों को कई हफ्ते लग जाते हैं, जिनका इस्तेमाल ये चार- पांच महीनों तक करते हैं।

– आज-कल पत्ताचित्र को आप साड़ियों और दूसरे ड्रेस मैटीरियल पर भी देख सकते हैं।

इमेज : फेसबुक 

और भी पढ़े: अब दूध बन जायेगा बच्चों का फेवरेट ड्रिंक

अब आप हमारे साथ फेसबुक, इंस्टाग्राम और ट्विटर पर भी जुड़िये।

Your best version of YOU is just a click away.

Download now!

Scan and download the app

Get To Know Our Masters

Let industry experts and world-renowned masters guide you towards a meditation and yoga practice that will change your life.

Begin your Journey with ThinkRight.Me

  • Learn From Masters

  • Sound Library

  • Journal

  • Courses

Congratulations!
You are one step closer to a happy workplace.
We will be in touch shortly.