क्रिसमस पर केक, सेंटा क्लॉज और ट्री का जानिए इतिहास

क्रिसमस पर केक, सेंटा क्लॉज और ट्री का जानिए इतिहास

संता, क्रिसमस ट्री और केक से जुड़ी दिलचस्प बातें
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दुनियाभर में मनाए जाने वाले हर त्योहार का मकसद लोगों के बीच आपसी प्रेम और एकता का संदेश देना है। क्रिसमस का त्योहार भी इन्हीं में से एक है। इसी दिन भगवान ईसा मसीह का जन्म हुआ था इसलिए ईसाई धर्म का यह सबसे विशेष त्योहार है। दुनियाभर में ईसाई समुदाय के साथ सभी धर्मों के लोग इसे बड़े उत्साह के साथ मनाते हैं।

खास है क्रिसमस ट्री

क्रिसमस का त्योहार क्रिसमस ट्री के बिना अधूरा है। ऐसा माना जाता है कि क्रिसमस ट्री इसलिए बनाया जाता है जिससे साल भर क्रिसमस ट्री की तरह जीवन में भी जगमगाहट रहे।  क्रिसमस ट्री यानी सदाबहार झाड़ियों और पेड़ों को ईसा युग से पहले से पवित्र माना जाता रहा है। इसका मूल आधार यह रहा है कि फर के सदाबहार पेड़ बर्फीली सर्दियों में भी हरे-भरे रहते हैं। इस पेड़ को लगाने का अर्थ है कि आने वाले दिनों में जीवन भी हमेशा हरा भरा रहे। यहां तक कि जब प्रभु ईसा मसीह का जन्म हुआ था, तब उनके माता मरियम और पिता जोसेफ को बधाई देने देवदूत भी आए थे। देवदूतों ने सितारों से रोशन सदाबहार फर उन्हें गिफ्ट किया था। तब से ही सदाबहार फर के पेड़ को क्रिसमस ट्री के रूप में मान्यता मिली।

सेंटा की कहानी | इमेज : फाइल इमेज

सेंटा की कहानी

इस दिन क्रिसमस ट्री सजाने और सेंटा का गिफ्ट देना भी काफी लोकप्रिय है। सेंटा क्लॉज की कहानी काफी दिलचस्प है। दरअसल चौथी शताब्दी में एशिया माइनर के मायरा में सेंट निकोलस नाम का एक शख्स रहता था। जो काफी अमीर था, लेकिन उनके माता-पिता का देहांत हो चुका था। सेंट निकोलस ज़्यादातर बिना बताएं चुपचाप गरीब लोगों की मदद किया करते थे। इसके लिये उन्होंने आधी रात का समय चुना ताकि उन्हें कोई देख न सकें। सेंट निकोलस ने दूसरों की भलाई के लिये अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया था। यही वजह है कि यीशू के जन्मदिन पर रात में सेंटा द्वारा बच्चों को गिफ्ट देने की परम्परा शुरु हुई।

केक बनाने की प्रथा

क्रिसमस के साथ नये साल में केक खुशियों में मिठास घोल देता है। क्रिसमस पर केक काटने का इतिहास 16वीं सदी से शुरु हुआ था। पुराने समय में लोग ब्रेड और सब्जियां मिलाकर एक डिश बनाते थे। इंग्लैड में प्लम पुडीज की प्रथा थी। 16वीं शताब्दी पुडिंग में जौ की जगह गेहूं के आटे का इस्तेमाल करने लगे और उसमें मक्खन और उबले हुए फल का प्लम प्रयोग किया जाने लगा। इसे लोग तंदूर में पकाते थे, तब जो पकवान तैयार हुआ उसने केक का रुप ले लिया। यहीं से केक बनाने की शुरुआत हुई। तब से हर साल क्रिसमस पर प्लम केक एक-दूसरे को गिफ्ट देने की प्रथा चलती आ रही है।  

सामाजिक पर्व बन गया है क्रिसमस

क्रिसमस अब सिर्फ एक धार्मिक पर्व नहीं रहा, बल्कि इसने सामाजिक पर्व का रूप धारण कर लिया है तभी तो अब सभी समुदायों के लोग बढ़−चढ़कर इसे मनाते हैं और आपस में खुशियां बांटते हैं।

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