एक कहावत है कि ‘चिंता चिता के समान होती है।‘ यानी सारा दिन परेशानियों के बारे में सोचते रहने से मन और शरीर दोनों पर गहरा असर पड़ता है।
इसलिए ज़रूरी है कि सोच पॉज़िटिव रखें और इसी से जुड़े हैं कुछ विचार –
कल की चिंता किए बिना आज हर पल को खुलकर जिएं।
पछतावे से बीता कल और चिंता से आने वाला कल नहीं बदला जा सकता। इसलिए हर दिन को जी भर के जिएं।
पॉज़िटिव सोच का जादू – चिंता दूर होती है,मूड अच्छा रहता है, आत्मविश्वास बढ़ता है, मन शांत रहता है, रिश्ते मधुर बनते हैं।
जब आप बहुत परेशान हो- सैर के लिए निकल जाएं, किसी अपने से बात करें, गहरी सांस लें, डायरी लिखें।
मैं बिना चिंता के जीवन जीना चाहता हूं और खुश रहना चाहता हूं।
चिंता न करें, ये सोचे – आपकी मेहनत सफल हो जाएगी, सब कुछ अच्छा होगा, आप खुद को साबित कर पाएंगे, सब काम हो जाएंगे।
खुद के लिए करें यह काम – मुश्किल हालात से निपटने के लिए खुद को शाबाशी दें, मन और शरीर को आराम देने के लिए काम से ब्रेक लें, नई चीज़ों के साथ तालमेल बिठाने के लिए खुद को समय दें,तनाव और चिंता से बचने के लिए अपनों से बात करें।
हर दिन हमारे पास दो विकल्प होते हैं- पहला- हर चीज़ का तनाव लेना, दूसरा हर हाल में शांत रहना, आप पर निर्भर है कि आप किसे चुनते हैं।
चिंता इतनी करो कि काम हो जाये, इतना नहीं कि सेहत पर हावी हो जाये।
गहरी सांस लेने के नियम
अंदर लें – प्यार, शांति, साहस और आभार
बाहर छोड़िए – चिंता, गुस्सा, डर और ईर्ष्या
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