नई तकनीकों से कूल होगा भारत

नई तकनीकों से कूल होगा भारत

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इस समय देश के ज़्यादातर हिस्से भीषण गर्मी की चपेट में हैं और लोग बहुत ज़्यादा परेशान हो रहे है। मध्यप्रदेश, राजस्थान और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में पिछले दो महीनों में सामान्य तापमान 420 सेल्सियस रहा है। वैसे तो यह झुलसाने वाला तापमान है, लेकिन ग्लोबल क्लाइमेट में बदलाव आने के कारण अब नॉर्मल लगने लगा है। हालांकि भारत में एसी लगभग 5% घरों में ही इस्तेमाल होता है, लेकिन साल 2030 तक भारत के घरों में एसी की संख्या 1.5 करोड़ (जो 2011 में थी) से बढ़कर 24 करोड़ हो सकती है।

किस-किस जगह है कूलिंग की ज़रूरत 

अगर आप सोचते हैं कि गर्मियों में केवल आपको एसी की ज़रूरत है, तो हम आपका ध्यान कुछ दूसरी चीज़ों पर भी केंद्रित करवाना चाहेंगे। भारत में सही कूलिंग चैनल्स न होने के कारण टीकों और सब्ज़ियों को ट्रांसपोर्ट करते समय ठंडा रखने की परेशानी का सामना करना पड़ता है। भारत में आने वाली एक-चौथाई टीके खराब कोल्ड चेन्स की वजह से डैमेज हो जाते हैं। इससे हर साल 4.5 बिलियन यूएस डॉलर का नुकसान झेलना पड़ता है।

नई तकनीकों से कूल होगा भारत
भारत में कूलिंग ऐक्शन प्लान की तैयारी  | इमेज : फाइल इमेज

इतना ही नहीं, बच्चों को गर्मियों के समय स्कूल जाते समय बेहद परेशानी होती है। वह बार-बार बीमार पड़ते हैं, जिस वजह से उन्हें छुट्टियां लेनी पड़ती हैं और उन्हें पढ़ाई का नुकसान होता है। हाल ही में यूनाइटिड नेशन्स की ‘सस्टेनेबल एनर्जी फॉर ऑल’ इनिशिएटिव द्वारा की गई एक स्टडी में भारत को उन नौ देशों की सूची में रखा गया है, जिनको कूलिंग टेक्नोलॉजी का सही एक्सेस न मिलने से खतरा पहुंच सकता है।

सरकार ने लांच किया कूलिंग ऐक्शन प्लान

इस बात की गंभीरता को समझते हुये भारतीय सरकार ने इस साल ‘कूलिंग ऐक्शन प्लान’ लांच किया है। यह किसी भी सरकार का इस दिशा में पहला होलिस्टिक प्लान है। मिनिस्ट्री ऑफ एन्वायरमेंट, फॉरेस्ट एवं क्लाइमेट चेंज के सेक्रेटरी सीके मिश्रा का कहना है कि आर्थिक विकास और उसकी लचीलता को बढ़ाने के लिए भारत में कूलिंग के विकल्पों को स्थापित करना बेहद ज़रूरी है।

इस प्लान के अनुसार, सरकारी पॉलिसीज़, रेग्युलेशन्स, वर्कफोर्स ट्रेनिंग, रिसर्च एवं डेवलप्मेंट को इंटरनेश्नल एनवायरमेंट कमिटमेंट्स को ध्यान में रखते हुए इंटीग्रेट किया गया है, जिससे हमारा देश अकुशल और महंगे इंफ्रास्ट्रक्चर से बोझिल नहीं होगा। इसमें बिल्डिंग और एप्लाएंस एफीशियंसी के रोल को महत्व दिया गया है, साथ ही आर्थिक और पर्यावरण को नई तकनीक (जैसे थर्मल स्टोरेज और डिस्ट्रिक्ट कूलिंग) से पहुंचने वाले फायदों को भी पहुंचाना है।

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