पर्यावरण बचाना मैंग्रोव मार्शल का मिशन

पर्यावरण बचाना मैंग्रोव मार्शल का मिशन

धरती को ऑक्सीजन देते मैंग्रेव के जंगलों में सफाई अभियान
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स्वच्छता, पर्यावरण और स्वास्थ्य एक दूसरे पर निर्भर करते हैं। यानी, स्वच्छता नहीं होगी तो पर्यावरण दूषित होगा और जब पर्यावरण दूषित होगा तो सेहत भी ठीक नहीं होगी। इन तीनों को ध्यान में रखते हुए मैंग्रोव मार्शल ने समाज में इसके प्रति जागरूकता लाने का निर्णय किया।

एक टीम है मैंग्रोव मार्शल

नवी मुंबई के रहवासी रोहित मल्होत्रा ​​की पहल है मैंग्रोव मार्शल, इसकी शुरूआत पहले रोहित मल्होत्रा ने अपनी पत्नी रसिका और कुछ दोस्तों के साथ मिलकर की। आज इस टीम में 200 से अधिक, सभी उम्र के वॉलंटियर्स मौजूद है। जो हर शनिवार को अपने टीम के साथ मैंग्रोव फॉरेस्ट की सफाई करने के लिए इकठ्ठा होते हैं।

कैसे हुई मैंग्रोव मार्शल की शुरुआत?

इस बारे में Think Right.me को दिए खास इंटरव्यू में रोहित मल्होत्रा ने बताया,“ पेशे से मैं एक सामाजिक कार्यकर्ता हूं, बच्चों के लिए क्रैच और प्ले-जोन की एक श्रृंखला चलाता हूं। मेरी पत्नी रसिका एक कॉर्पोरेट कर्मचारी हैं। जब भी मैं नवी मुंबई के मैंग्रोव्स में बढ़ती गंदगी को देखता, तो दुख होता था। मुझे पूरा विश्वास है कि हम ही लोग बदलाव ला सकते हैं और इस समस्या को दूर कर सकते हैं। इसलिये मैंग्रोव मार्शल के नाम से अप्रैल 2018 में इसकी शुरूआत की। “

पर्यावरण बचाना मैंग्रोव मार्शल का मिशन
पर्यावरण बचाना मैंग्रोव मार्शल का मिशन

शुरूआत के बारे में बताते हुए रोहित कहते हैं, “यह सब वाशी के मिनी सीशोर से शुरू हुआ, जहां समुद्र का पानी को रोकने के लिए एक तालाब बनाया गया है। शुरूआत में इस तालाब को साफ करने की कोशिश की, तो यह बहुत मुश्किल हो रहा था क्योंकि यहां पथरीले और बहुत फिसलन थी। इस तालाब में मैंग्रोव्स भी थे जो कचरे की वजह से नष्ट हो गए।“

फिर रोहित ने मिनी सीशोर के दूसरी तरफ की गंदगी को साफ करने का फैसला किया। पत्नी और दोस्तों के साथ-साथ बेटे यश ने भी इस पहल में सक्रिय रूप से भाग लिया।

क्या है यह मैंग्रोव ?                      

मैंग्रोव  पेड़ों और झाड़ियों का एक समूह है, जिसकी जड़ें मिट्टी के अंदर गहराई तक फैली होती है, जो मिट्टी में ऑक्सीजन पहुंचाकर उसे उपजाऊ बनाती हैं। मैंग्रोव के बारे में रोहित मल्होत्रा ने बताया,“ इकोसिस्टम के लिए मैंग्रोव महत्वपूर्ण हैं क्योंकि ये लहरों, बाढ़ और तूफान से तटों की रक्षा करते हैं। साथ ही, उनकी उलझी हुई जड़ें मिट्टी को उपजाऊ तो बनाती है और जलीय जीवों को भी जीवन देने का काम करती है।“

स्वच्छता के साथ पर्यावरण का रखें ख्याल
स्वच्छता के साथ पर्यावरण का रखें ख्याल |इमेज : फेसबुक

एक दिन हो स्वच्छता के नाम

कहते हैं मन में कुछ करने का संकल्प हो तो साधन – संसाधन या सरकारी मदद मायने नहीं रखती है। ऐसा ही कर दिखाया है, मैंग्रोव मार्शल टीम ने। शहर को साफ – सुथरा बनाने के लिये अपने टीम के साथ हर शनिवार को सूरज उगने से पहले मैंग्रोव के जंगलों में आते हैं और शाम को सात बजे तक मैंग्रोव के झाड़ियों में फंसे कूड़े- कचरे की सफाई करते हैं।

रोहित मल्होत्रा ​​ने Think Right.me  से बातचीत में कहा, ” हम जो करते हैं, उसका दोतरफा असर होता है- एक मलबे और गंदगी को साफ कर रहे है और दूसरा हमें हर बार एक नया वॉलंटियर मिल जाता है। इसके अलावा लोगों की भी जागरूकता बढ़ रही है।“

शहर को है सुंदर बनाना

अबतक इस काम को 45 सप्ताह से अधिक समय हो गया है और यह टीम आमजन को प्रेरित कर रही है। इस बारे में रोहित कहते हैं, “ पर्यावरण की रक्षा और साफ-सफाई सिर्फ हमारी ही नहीं, बल्कि समाज के  हर सदस्य की ज़िम्मेदारी है। तो चलिये मिलकर इस पर्यावरण को बचाने के लिये अपना सहयोग दें।” 

इमेज : फेसबुक

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