वडनगर का नाम सिर्फ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पैतृक गांव होने की वजह से ही चर्चा में नहीं रहता, बल्कि इसकी एक अन्य वजह है इसका 2200 साल पुराना इतिहास। वडनगर गुजरात का सबसे पुराना शहर है और इसके इतने लंबे जीवन का राज़ है, इसकी विस्तृत जल संरक्षण योजना।
जल ही जीवन है
किसी भी समाज को ज़िंदा रहने के लिये सबसे ज़्यादा ज़रूरत पानी की होती है। इसलिये प्राचीन काल में सभ्यताएं पानी के स्रोतों के आसपास ही विकसित हुईं। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण टीम के मुताबिक वडनगर यदि इतने सालों से अपने अस्तित्व को बचाये हुये है, तो उसकी बहुत बड़ी वजह सदियों से यहां किया जाने वाले जल सरंक्षण है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के मुताबिक, वडनगर में 10 किलोमीटर के अंदर ही करीब जल के 54 स्रोत हैं जिसमें नदी, झील, तालाब, कुएं आदि शामिल हैं। ज़्यादातर पानी के स्रोत मानव निर्मित है और इन्हें कई बार रिपेयर किया जा चुका है, जिससे पता चलता है कि लोग इसका लगातार इस्तेमाल करते आ रहे हैं।
समृद्ध शहर
आर्कियोलॉजिस्ट के मुताबिक 5वीं सदी में जब मौसम के बदलाव की वजह से कई सभ्यताएं खत्म हो गई थी, वडनगर तब भी फल-फूल रहा था। विदेशी व्यापार और शंख की चूड़ियों का कारोबार इसकी समृद्धि का प्रतीक है। इतना ही नहीं यह सामाजिक और सांस्कृति रूप से भी समृद्ध शहर रहा है और इसका पता खुदाई में मिले कई संरचनाओं से चलता है। पुरातत्व विभाग ने रिसर्च के दौरान शहर के अलग-अलग इलाकों में रिसर्च की तो पता चला कि यहां भैंसों की तादाद बहुत ज़्यादा है। भैंस को ज़्यादा पानी की ज़रूरत होती है और यदि इस इलाके में बड़ी तादाद में भैंसे थी तो यह साबित होता है कि यहां पानी के बहुत स्रोत हैं। वडनगर का ज़िक्र पुराणों में भी है और महान चीनी यात्री ह्वेनसांग के यात्रा वृत्तांत में भी इसे एक समृद्ध शहर बताया गया है।
भूजल की उपलब्धता
वडनगर गुजरात मेहसाणा जिले में आता है। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि मेहसाणा में पानी की दिक्कत और यहां 600-700 फीट खुदाई के बाद ही जमीन के नीचे से पानी निकल पाता है, जबकि वडनगर सिर्फ 100 फीट की खुदाई में ही पानी निकल जाता है यानी यहां ज़मीन के नीचे पर्याप्त पानी है।
जल संरक्षण है ज़रूरी
– मानव सभ्यता को बचाये रखने के लिये पानी बचाना बहुत ज़रूरी है।
– हर किसी को अपने स्तर पर पानी का संरक्षण और उसकी बर्बादी रोकने की कोशिश करनी चाहिये।
– तेज़ी से खत्म होते इस ज़रूरी प्राकृतिक संसाधन की अहमियत समझना बहुत ज़रूरी है।
इमेज : टाइम्स ऑफ इंडिया
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