बच्चों के लिये ज़रूरी है स्ट्रैस मैनेजमेंट

बच्चों के लिये ज़रूरी है स्ट्रैस मैनेजमेंट

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फिज़िकल और मेंटल हेल्थ के साथ ही इमोशनल हेल्थ का ध्यान रखना भी ज़रूरी भी है। आप अपने बुजुर्गों को कैसे इमोशनली हेल्दी और खुशी दे सकते हैं, बता रहे हैं डॉ. साई कौस्तुभ दासगुप्ता, जो लेखक, इंटरनेशनल ग्राफिक डिज़ाइनर और मोटिवेशनल स्पीकर हैं।

ऐसा कहा जाता है छात्र जीवन ज़िंदगी का सुनहरा दौर होता है, क्योंकि तभी हम ज़िंदगी का महत्वपूर्ण सबक सीखते हैं। यह उत्साह और खुशी का समय होता है, जब दिमाग हर तरह की चिंताओं से मुक्त होता है। छात्रों का मुख्य काम है ज्ञान अर्जित करना। यदि वह सही समय पर अपना काम करें, तो मानसिक रूप से स्वस्थ और खुश रहने के साथ ही जीवन में अनुशासन भी बनाये रख सकते हैं।

तनाव कम करें

अपने मानसिक स्वास्थ्य को बनाये रखने के लिए छात्रों को पता होना चाहिए कि तनाव से कैसे निपटना है। परीक्षा की तैयारी के दौरान थोड़ा चिंतित होना लाज़मी है, लेकिन इसे लेकर बहुत तनावग्रस्त होने से आप मनचाहा परिणाम नहीं पा सकते हैं।

तनाव से बचने के लिये छात्रों को योग, एक्सरसाइज़, खुले मैदान में सैर, जानवरों के साथ खेलने जैसी गतिविधियां करनी चाहिये। इसे सिर्फ एक दिन ही न करें बल्कि नियमित रूटीन बनायें। थोड़ा समय अपना कोई शौक पूरा करने के लिए भी निकालिये। साथ ही अपनी सोच का दायरा विस्तृत करने के लिए सिलेबस से अलग कुछ अच्छी किताबें पढ़ें। मस्ती-मज़ाक और मुस्कान को हमेशा ज़िंदगी में शामिल रखें। रिसर्च के मुताबिक, हंसने से इम्यून सिस्टम मज़बूत होता है, दर्द कम होता है, यह शरीर को आराम देने के साथ ही तनाव भी घटाता है। इस तरह तनाव कम करके आप पढ़ाई पर ध्यान लगा सकते हैं।

बच्चों के लिये ज़रूरी है स्ट्रैस मैनेजमेंट
बच्चों की पढ़ाई में करें मदद | इमेज : फाइल इमेज

सपोर्ट सिस्टम

बच्चों के लिए पैरेंट्स का सपोर्ट बहुत मायने रखता है। माता-पिता का सहयोग उनका आत्मविश्वास बढ़ाता है और वह अपना काम बेहतर तरीके से कर पाते हैं। पढ़ाई में भी पैरेंट्स को बच्चों का सपोर्ट करना चाहिये। साथ ही छात्रों को बड़ों से आज्ञाकारी, अपनी जिम्मेदारी और कर्तव्य पूरा करना और बड़ों का सम्मान करने जैसे गुण सीखने चाहिये। यह न सिर्फ एक सपोर्ट सिस्टम बनाता है, बल्कि छात्रों को सशक्त भी बनाता है।

अपने लिए लक्ष्य तय करें

छात्रों को अपना एकेडमिक, प्रोफेशनल और पर्सनल लक्ष्य तय करना चाहिये। उन्हें पता होना चाहिये कि वह क्या जीवन में क्या पाना चाहते हैं। लक्ष्य तय करने के बाद उसे किस तरह से पूरा करना है, उसके बारे में पेपर पर लिखें। याद रखिये आप छात्र हैं और छात्रों को कभी भी ऊंची उड़ान भरने से डर नहीं लगता। लक्ष्य ऊंचा रखें, लेकिन वह रियलिस्टिक होने चाहिये, इसे ओवर शेड्यूल नहीं करें। जैसे-जैसे आप अपने लक्ष्य के करीब पहुंचते जायेंगे, आपको अपनी उपलब्धि पर गर्व होता और खुद की नज़रों में अपनी अहमियत बढ़ जायेगी।

मेंटल हेल्थ के लिये छात्र सोच ‘करें सही’

– पढ़ाई से डरे नहीं। कठिन विषय से भागने की बजाय ज़्यादा अभ्यास करें।

– पढ़ाई और खेलने के समय को बैलेंस करें।

– पैरेंट्स से मदद मांगने से हिचकिचायें नहीं।

– असफलता का डर मन से निकालकर अपनी तरफ से बस कोशिश करें, परिणाम की चिंता न करें।

और भी  पढ़िये : बुज़ुर्गों को रखें इमोशनली हेल्दी

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