बहुत खास है अहमदावादी ऑटोरिक्शा वाली

बहुत खास है अहमदावादी ऑटोरिक्शा वाली

जब दृढ़ इच्छाशक्ति हो तो, कुछ भी मुमकिन है
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पुरुषों के वर्चस्व वाली अब शायद ही कोई ऐसी फील्ड रह गई हो जहां महिलाओं ने एंट्री न की हो। ऐसा ही एक प्रोफेशन है ऑटो रिक्शा चलाने का, जिसमें हमेशा से पुरुष ड्राइवर ही रहे हैं, लेकिन अब तो कई शहरों में आपको दर्जनों महिला ऑटो ड्राइवर दिख जाएंगी। ऐसी ही एक महिला ड्राइवर है अंकित शाह, मगर अंकिता सामान्य महिलाओं से कुछ अलग है।

विकलांगता से नहीं मानी हार

अहमदाबाद की 35 साल की अंकिता शाह का एक पैर पोलियो की कारण बहुत पहले ही कट गया। इसके बावजूद वह पिता के इलाज का खर्च उठाने के लिए अहमदाबाद की सड़कों को ऑटो दौड़ा रही हैं। दरअसल, अंकिता पालिटाना के सामान्य परिवार से हैं। पोलियों के कारण जब उनका एक पैर काट दिया गया, तो उन्हें अपने गांव में सामाजिक रूप से कई मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा था। इसके बाद उनका परिवार अहमदाबाद शिफ्ट हो गया और यहां अंकिता ने कॉल सेंटर में नौकरी शुरू कर दी।

जीवन से कभी न हारे
जीवन से कभी न हारे | इमेज : टाइम्स ऑफ इंडिया

पिता की बीमारी में मदद नहीं कर पाने का गिल्ट

अंकिता अर्थशास्त्र से स्नातक हैं और पांच भाई-बहनों में सबसे बड़ी हैं, जिससे उनके ऊपर परिवार की जिम्मेदारी है। कॉल सेंटर में 12 घंटे काम करने पर उन्हें सिर्फ 12000 रूपये सैलरी मिलती थी। इसी बीच जब पिता को आंत का कैंसर होने के बारे में पता चला, तो अंकिता के लिए इतनी कम सैलरी में घर और पिता का इलाज करा पाना संभव नहीं था। उन्होंने नौकरी छोड़ दी और कई जगह दूसरी नौकरी के लिए इंटरव्यू दिया, मगर विकलांगता की वजह से हर जगह रिजेक्ट हो जाती थी। पिता के इलाज में मदद न कर पाने के कारण अंकिता को गिल्टी फील होता था।

नहीं मानी हार

नौकरी न मिल पाने से अंकिता निराश नहीं हुआ, बल्कि तभी उन्होंने अकेले दम पर कुछ करने की ठानी और उन्होंने रिक्शा चलाने का फैसला किया जो आसान बिल्कुल नहीं था। परिवार वालों की भी भौंहे तन गई थी, मगर घर चलाने और पिता के इलाज के लिए अंकिता ने ऑटो चलाने का फैसला किया। जिसमें उनके एक दोस्त ने मदद की। उसने अंकिता को न सिर्फ ऑटो चलाना सिखाया, बल्कि उसकी सुविधानुसार ऑटो डिज़ाइन करवाने में भी मदद की, जिसमें ब्रेक मैन्युल है। अब 7-8 घंटे ऑटो चलाकर अंकिता बीस हज़ार रुपए प्रति महीना कमा लेती हैं। उनके मुताबिक, यह पहले से बेहतर है क्योंकि काम का कोई प्रेशर नहीं है और वह फैमिली भी संभाल लेती हैं। अंकिता की योजना खुद का टैक्सी बिज़नेस शुरू करने की है।

अंकिता जैसे लोग हर किसी के लिए प्रेरणा है। शारीरिक कमी के बावजूद अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति की बौदलत वह आगे बढ़ रही हैं।

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