बिना डिग्री बनी, ट्रेनों की डॉक्टर

बिना डिग्री बनी, ट्रेनों की डॉक्टर

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न कोई इंजीनियरिंग की डिग्री है, न डिप्लोमा, फिर भी जब वह किसी ट्रेन के पार्ट्स से जुड़ी समस्या के बारे में बताती हैं, तो भारतीय रेलवे के सीनियर ऑफिसर्स भी उनकी बातों को ध्यान से सुनते हैं। हम बात कर रहे हैं,  प्रीतिलता मंडल की। दक्षिण-पूर्व रेलवे (एसईआर) के संतरागाछी न्यू कंपोजिट मेंटेनेंस डिपो में मैकेनिक होने के साथ-साथ, उनके पास हावड़ा-चेन्नै कोरोमंडल एक्सप्रेस और हावड़ा-बैंगलोर यशवंतपुर एक्सप्रेस की जिम्मेदारी भी है।

ट्रेनों की डॉक्टर

ट्रेनों को पटरी पर चलाने से पहले एक ट्रेन की कई बार जांच की जाती हैं ताकि यात्री को कोई परेशानी न हो। एक छोटी– सी गलती के कारण कई लोगों को परेशानी उठानी पड़ सकती हैं। लेकिन प्रीतिलता की नज़रों से आज तक कोई भी गडबड़ी छिप नहीं पाई है। अपनी पैनी नज़रों से वह छोटी से छोटी गड़बड़ी का पता आसानी से लगा लेती हैं। प्रीतिलता हज़ारों यात्रियों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुये, कारसेट में आई ट्रेनों की बारीकियों से जांच कैसे करती हैं, देखिये इस विडियो में –

माहौल के अनुसार ढली

कोलकाता की रहने वाली प्रीतिलता का रेलवे या किसी दूसरे फील्ड में करियर बनाने का कोई इरादा नहीं था। एक स्टेशन मास्टर से विवाह के बाद वह संतरागाछी में अपनी एक साल की बच्ची के साथ अच्छी ज़िंदगी गुज़ार रही थीं। एक हादसा में उनके पति की मृत्यु होने के बाद, रेलवे ने अनुकंपा के आधार पर उन्हें नौकरी मिली। दफ्तर में उनके लिए कोई जगह खाली नहीं थी, जिसकी वजह से उन्हें फील्ड पोस्टिंग दी गई।

पति के जाने के बाद घर की सारी ज़िम्मेदारियां प्रीतिलता पर थी, साथ ही बेटी का पालन पोषण भी करना था। अंधेरी जगहों पर काम करने के अलावा उनके पास कोई दूसरा ऑप्शन नहीं था।

मेरा कर्तव्य और मेरा काम

प्रीतिलता कारसेट में आयी हुई ट्रेनों की मरम्मत करती थी। वह रेलवे कंपोनेंट की जांच के बाद गड़बड़ी वाली जगह पर चॉक से निशान लगाती थी। गड़बड़ी को दुरुस्त करना और उसके बाद निशानों को मिटाने के काम करती थी। शुरुआत में प्रीतिलता को यह काम करना अच्छा नहीं लगता था क्योंकि पूरी टीम में वह इकलौती महिला थी।

बिना डिग्री बनी, ट्रेनों की डॉक्टर
ट्रेनों को फिट रखती हैं प्रीतिलता  | इमेज : साउथ इस्टेन रेलवे यूट्यूब

अपनी मेहनत के बूते पर प्रीतिलता ने मरमम्त का काम इतने अच्छे तरीके से सीख लिया कि अब वह एक नज़र में देखकर कह देती है कि किस खास कंपोनेंट में गड़बड़ी है। प्रीतिलता अभी एसी कोचों की इंचार्ज हैं। वह टूटे हुए ब्लॉक और अलार्म चेन को चेक करने के अलावा सभी तरह के काम करती हैं।

ट्रेनों की एक्सपर्ट

प्रीतिलता ने अगर ट्रेन में कोई गड़बड़ी बता दी, तो फिर से पूरी ट्रेन की जांच पड़ताल की जाती है। ज़्यादातर मामलों में उनकी कही हुई बातें सही साबित होती हैं। कई बार बहुत ही छोटी गड़बड़ी, जिसे एक सामान्य इंसान नहीं देख पाता, उसका पता वह ट्रेन यात्रा शुरू होने से पहले ही लगा लेती हैं।

काम के प्रति समर्पण के लिये प्रीतिलता को कई बार एसईआर के उच्चाधिकारियों ने सम्मानित भी किया है। उनके संघर्ष की कहानी लोगों को बताने के लिये प्रीतिलता के जीवन पर एक शॉर्ट फिल्म बनाई जा रही है।

इमेज और वीडियो : साउथ ईस्टर्न रेलवे यूट्यूब

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