‘न समझ कमज़ोर मुझे, ज़िद्द पर आ गई, तो आसमां भी झुका सकती हूं।’
हिमालय की पहाड़ियों पर चार दिनों तक मुश्किल हालात में पैट्रोलिंग करके महिला सैनिकों ने अपने हौसलें और साहस का परिचय दिया है। 18 महिला सैनिकों की टीम ने अरूणाचल प्रदेश और चीन से सटे लाइन ऑफ कंट्रोल पर पैट्रोलिंग करके नया रिकॉर्ड बनाया है।
हम किसी से कम नहीं
महिलाओं को नाज़ुक और कमज़ोर समझने वाले लोगों की सोच को अक्सर महिलायें अपनी बहादुरी से गलत साबित करती आई हैं। कोई भी ऐसा क्षेत्र नहीं बचा है, जहां महिलाओं ने झंडे न गाड़े हो। कुछ ऐसा ही कारनामा अब 18 महिला सैनिकों ने करके दिखाया है, जिसके लिये उनका नाम इतिहास में दर्ज हो जायेगा।
महिलाओं की पहली टीम
अरुणाचल प्रदेश में चीन की सीमा से लगे लाइन ऑफ कंट्रोल यानी वास्तविक नियंत्रण रेखा पर 18 महिला सैनिकों की टीम ने चार दिनों तक पैट्रोलिंग की। इस टीम में भारतीय सेना के साथ ही असम राइफल्स और आइटीबीपी की महिला सैनिक शामिल थी। इस टीम को लीड भारतीय सेना की महिला अधिकारी ने किया था। पैट्रोलिंग की शुरुआत 10 अगस्त को अरुणाचल प्रदेश के अंजाव जिले के किबुतु से शुरू हुई थी। इस तरह की पैट्रोलिंग करने वाली यह महिलाओं की पहली टीम है। पैट्रोलिंग पूरी करने के साथ ही इन महिला सैनिकों ने इतिहास में अपना नाम तो दर्ज करवाया ही, साथ ही ‘नारी शक्ति’ का भी जबरदस्त प्रदर्शन किया है।
आसान नहीं थी राह
अरुणाचल प्रदेश में चीन की सीमा से लगे जिस लाइन ऑफ कंट्रोल के पास पैट्रोलिंग की गई वह इलाका सामान्य नहीं है। यह ऊंचे-ऊंचे पहाड़, घने जंगल, तेज धार वाली नदियां जिसे पैट्रोलिंग के दौरान महिला सैनिकों ने पार किया और महिला सशक्तीकरण की मिसाल पेश की।
आज के दौर में शायद ही कोई ऐसी फील्ड बची हो, जहां महिलाओं ने अपना हुनर न दिखाया हो। विज्ञान से लेकर तकनीक, सेना से लेकर इंजीनियरिंग और कभी सिर्फ पुरुष प्रधान रहे पेशों में भी न सिर्फ एंट्री की, बल्कि अपनी काबिलियत साबित की है। देश का सिर गर्व से ऊंचा करने वाली ऐसी महिलाओं को हमारा सलाम।
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