प्यारी मां,
आज न जाने क्यों बार-बार तुम्हारी याद आ रही है और मेरे ज़ेहन में एक शेर ताज़ा हो रहा है।
“एक दुनिया है, जो समझाने से भी नहीं समझती,
एक माँ थी, बिन बोले सब समझ जाती थी।”
सचमुच मां तुम तो बिना कहे ही मेरे चेहरे का भाव पढ़ लेती थी, कब मैं मायूस हूं, कब उलझन में और कब खुश, लेकिन तुम्हारे अलावा मुझे कोई और समझ नहीं पाया। आज कई दिनों से मैं परेशान हूं – ऑफिस और घर दोनों की टेंशन लेकर, लेकिन घर पर किसी ने भी पूछा कि क्यों परेशान हो, क्या बात है। शायद इसलिए तुम आज इतनी याद आ रही हो, तुम तो मेरी खामोशी को भी मुझसे बेहतर समझ लेती थी।
तुमने हमेशा खुद से ज़्यादा मेरी परवाह की है। अपने लिए कोई चीज़ खरीदने से पहले मेरी खिलौनों की फरमाइश पूरी की है। तब तो मैं समझ भी नहीं आता था कि आपके पास पैसों की कमी है। इसलिए आप बाकी बच्चों की मम्मी की तरह हर दिन नए कपड़े, ज्वेलरी नहीं खरीद सकती। कभी त्योहार पर अपने लिए कुछ बनाने का सोचती भी, तो आपकी नज़रों में मेरा चेहरा आ जाता और फिर अपने लिए बचाये पैसे मुझपर खर्च कर देती।
आज भी समझ नहीं आता कि कैसे आप में इतना धैर्य आता था? मेरे नखरे दिखाने और गुस्सा करने पर भी आप कभी मुझसे नाराज़ नहीं हुईं।
मां, देर से ही सही पर आज आपकी बातें समझ आती है। परिवार को जोड़े रखना, हर किसी की ज़रूरत का ध्यान रखना, लेकिन अपने बारे में नहीं सोचना। आपने नहीं सोचा, ये तो समझ आता है, लेकिन आज दुख होता है कि मैंने भी कभी आपकी इच्छाओं और सपनों के बारे में नहीं सोचा।
मां, सच में आजतक न मुझे कोई आपसा प्यार करने वाला मिला और न ही समझने वाला। उम्मीद है कि मैं भी आपकी तरह बन सकूं।
मुझे दुनिया की हर खुशी देने, मेरी हर ज़िद्द मानने और आज भी मेरे मुश्किल दौर में मुझे सलाह देने के लिए थैक्यू मां!
तुम हमेशा यूं ही मुस्कुराती रहो।
आपकी आंखों का तारा
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