यूं ही नहीं बन जाती कोई ‘मीडिया क्वीन’

यूं ही नहीं बन जाती कोई ‘मीडिया क्वीन’

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हालात चाहे जितने सख्त हो, ज़िंदगी में कभी हार न मानने की प्रेरणा देनेवाली, मनुष्य के दिलोदिमाग का बारीक अध्ययन कर जीवन जीने के व्यावहारिक सूत्र बताने वाली, पॉज़िटिव थिंकिंग डेवलप करने में माहिर विश्व प्रसिद्ध शख्सियत ओपरा विनफ्रे आज भले ही अमेरिका में ‘मीडिया क्वीन’ कहलाती हैं, लेकिन यह मुकाम उन्होंने रातोंरात हासिल नहीं किया है। उनके जीवन में विपत्तियों की शुरुआत उनके जन्म से पहले ही हो चुकी थी। बचपन नानी के साथ बीता, जो बहुत गरीब थी। नानी ने ही उन्हें पढ़ना सिखाया।

 घर बना जीवन की पहली पाठशाला

जीवन की पहली पाठशाला उनका घर रहा, जहां वह खिलौनों के इंटरव्यू लेती रहती थीं। छह साल की उम्र में मां के पास लौटीं, तो भयंकर गरीबी से पाला पड़ा। घर चलाने के लिए पड़ोसियों के यहां झाड़ू-पोंछा करने लगीं। लेकिन, कठिन वक्त से लड़ते हुए 19 साल की उम्र में वह हाई स्कूल की पढ़ाई के दौरान ही रेडियो स्टेशन पर काम करने लगी।

स्वयं का प्रोडक्शन हाउस से बनीं ‘मीडिया क्वीन’

ओपरा की प्रस्तुति और मेहनत का रेडियो स्टेशन प्रबंधन पर ऐसा असर पड़ा कि उन्हें एक प्रोग्राम प्रसारण का अधिकार दे दिया गया। इसके बाद तो वह सफलता की उड़ानें भरती चली गईं। बाद में उन्होंने स्वयं का प्रोडक्शन हाउस खोल कर रेडियो प्रोग्राम प्रसारित करने लगीं। और, अमेरिका के इतिहास में सबसे ज्यादा रेटिंग वाला शो ‘द ओपरा विनफ्रे शो’ से दुनिया में अलग पहचान बनाई। यानी, इतने संघर्षों को सहने के बाद आज वह विश्व-ओपरा की सबसे प्रभावशाली महिलाओं में से एक हैं। अगर जीवन के लक्ष्य प्राप्त करने हैं, तो इसकी शुरुआत आपको अपनी आत्मा से करनी होगी। ओपरा इसी सिद्धांत पर अमल करके यहां तक पहुंची हैं। उनका मानना है कि जीवन में आगे बढ़ने के लिए ऐसे लोगों से घिरे रहिए, जो आपको पॉज़िटिव सोच दे और आपको ऊपर उठाएं।

पॉज़िटिव सोच से पाया मुकाम | इमेज: द वाइट हाउस आर्काइव्ज

अलग सोच ने दी दुनिया में पहचान

ज़िंदगी की कंटीली राहों को बहुत पीछे छोड़ चुकी ’द ओपरा विनफ्रे शो’ की मेजबान, एक्टर, प्रोड्यूसर और राइटर ओपरा विनफ्रे मानती हैं कि जैसे-जैसे आपको स्पष्ट हो जाएगा कि आप सचमुच कौन हैं? आप और भी अच्छे से तय कर पाएंगे कि आपके लिए सबसे अच्छा क्या है? इसलिए अपने जीवन के लक्ष्य प्राप्त करने के लिए अपनी आत्मा से शुरुआत करनी होती है। यानी, इंसान सिर्फ अपना नज़रिया बदलकर अपना भविष्य बदल सकता है।

ज़िंदगी के सफर में यह बात सीखना बहुत ही मुश्किल है कि किस पुल से पार करें और किस पुल को जला दें। लेकिन, जो इस बात को जितनी जल्दी सीख लेता है, कामयाबी उसके पास उतनी ही जल्दी आती है।

और भी पढ़े: पॉज़िटिव सोच की शक्ति

इमेज: सीएनबीसी

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