कई बार ऐसा होता है कि हम लोगों के बीच बैठकर भी अपने आसपास के लोगों से बातचीत नहीं कर पातें। ग्रुप डिस्कशन या जहां दो-चार लोग मिलकर बात कर रहे हैं, हम उनके बीच अपनी बात रखने में असहज महसूस करते हैं। लेकिन लोगों से बात करना इतना मुश्किल भी नहीं है, जितना आमतौर पर हम इसे समझते हैं। किसी भी बातचीत का हिस्सा बनने या बातचीत शुरू करने में नीचे बतायें टिप्स आपके बहुत काम आयेंगे।
आंख मिलाकर बात करना
किसी से भी बात करने से पहले बहुत ज़रूरी है उससे नज़रें मिलाना, इससे कॉन्फिडेंस बढ़ता है। आपने लोगों को कहते सुना होगा कि आत्मविश्वासी लोग ही नज़रें मिलाकर बात करते हैं। वैसे भी किसी से आई कॉन्टेक्ट होने पर सामने वाला बिना कहे भी आपकी कुछ बातें समझ जाता है क्योंकि आंखें, बिना शब्दों के भी बहुत कुछ कह जाती है।
चेहरे के हाव भाव
हमारा दिमाग अपने आप हमारे चेहरे के हावभाव को कॉपी कर लेता है, तभी तो सामने वाले के मुस्कुराने पर आप भी अपने आप मुस्कुरा देते हैं। चेहरे के ये हावभाव शायद ही कभी झूठे होते है। इसलिये बात करते समय सामने वाले के चेहरे के हाव भावों पर नज़र रखें कि यह कितना सच्चा या झूठा है।
पॉश्चर
बिल्कुल सीधे बैठकर सुनने का मतलब है कि आप सामने वाले की बातों पर पूरा ध्यान दे रहे हैं। इससे सामने वाला आपसे खुलकर बात करने के लिए प्रोत्साहित होता है।
भावनात्मक स्थिति
सामने वाली का भावनात्मक स्थिति पर ध्यान दें। जब तक आप सामने वाले के भावनात्मक स्तर को नहीं समझेंगे, तब तक उससे प्रभावी ढंग से संवाद नहीं कर सकते। अपने स्वाभाविक ज्ञान पर भरोसा करें क्योंकि यह सब कुछ समझता है, वह भी जिसे मस्तिष्क नहीं समझ पाता।
बोलने का लहज़ा
टोन जिसे लहज़ा कहा जा सकता है, यह भी बातचीत में बहुत मायने रखती है। यदि कोई व्यक्ति ऊंची आवाज़ या अकड़ कर बोलता है, तो कई उसकी बात नहीं सुनना चाहेगा। वहीं सौम्य बातचीत करने वालों के कम्युनिकेशन स्किल बहुत अच्छे माने जाते हैं।
ध्यान से सुनें
सामने वाले की बातों और भावनाओं पर ध्यान देना और बिना जजमेंट के अपनी प्रतिक्रिया देना।
आपकी प्रतिक्रिया
भावनायें संक्रामक होती है। यदि आप मायूस या गुस्से में हैं, तो आपकी भावनाओं का असर आसपास के लोगों और आपकी बातचीत की गुणवत्ता पर भी पड़ेगा। आप कैसा महसूस करते हैं इस पर ध्यान दें, क्योंकि इसका असर आपके आसपास के लोगों पर भी होता है। अंत में एक बात हमेशा याद रखें कि किसी भी चीज़ के बारे में ज़्यादा न सोचें और वक्त के हिसाब से चलते रहे।
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