वायु प्रदूषण को बनाया कला का ज़रिया

वायु प्रदूषण को बनाया कला का ज़रिया

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बढ़ता वायु प्रदूषण न सिर्फ पर्यावरण संतुलन बिगाड़ रहा है, बल्कि हर साल इसकी वजह से दुनिया भर में हज़ारों लोग समय से पहले मौत के शिकार हो रहे हैं। यदि वक्त रहते गहराते वायु प्रदूषण का कोई समाधान नहीं निकाला गया, तो वह दिन दूर नहीं जब पर्यावरण के साथ ही इंसान का जीवन भी भयंकर संकट में पड़ जायेगा और सांस लेना भी दूभर हो जायेगा। दुनिया के कुछ लोगों ने वायु प्रदूषण को कला का ज़रिया बना लिया है।

प्रदूषण की अलग-अलग कैटेगरी

वायु प्रदूषण की भी अलग-अलग कैटेगरी होती है। वाहनों से निकलने वाला धुआं, प्लास्टिक के जलने, उद्योग-कारखानों की चिमनी से निकलने वाला धुआं अलग-अलग तरह से वायु को प्रदूषित करता हैं। आर्टिस्ट माइकल पिंस्की ने वायु प्रदूषण की इन्हीं अलग-अलग कैटेगरी को दिखाने के लिए पांच गुंबदनुमा स्ट्रक्चर बनाये हैं। इसमें नॉर्वे, लंदन, दिल्ली, बिजिंग और साउ पॉलो के वायु प्रदूषण का एहसास कराया गया है। इन सब जगहों में वायु प्रदूषण का कारण अलग है। कहीं इसकी वजह गाड़ियां, तो कहीं कारखाने और कहीं प्लास्टिक व कचरे का जलना है। अपनी कला के ज़रिए पिंस्की लोगों में जागरुकता फैलाने की कोशिश कर रहे हैं ताकि वायु प्रदूषण रोकने की दिशा में कदम उठाये जा सके।

वायु प्रदूषण को बनाया कला का ज़रिया
क्रिएटिविटी के ज़रिये जागरुकता  | इमेज : फाइल इमेज

स्मॉग फ्री टावर

डैन रूजगार्डे ने चीन में दुनिया का सबसे बड़ा एयर प्यूरिफायर बनाया है। ये चीन की राजधानी बीजिंग में लगा है, जो हवा में मौजूद हानिकारक कणों को साफ करता है। खास बात यह है कि हवा की सफाई के जो दूषित कण इकट्ठा होते हैं, उसे कंप्रेस करके स्मॉग-फ्री ज्वेलरी तैयार की जाती है। इतना ही नहीं डैन ने स्मॉग-फ्री साइकिल भी बनाई है। दिल्ली की दूषित हवा को साफ करने के लिए भी स्मॉग फ्री टावर बनाने की तैयारी है।

दूषित कण से इंक

मैसाच्यूसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से पढ़ाई करने वाले अनिरुद्ध शर्मा ने ऐसी तकनीक ईजाद की है। इसकी मदद से वाहनों और ईंधनों से निकलने वाले धुएं से इंक बनाई जाती है, इसे एयर इंक कहते हैं। कई कलाकार अपनी पेंटिंग में इसका इस्तेमाल कर चुके हैं। कई कलाकारों ने तो बकायदा अपनी पेंटिंग पर यह नोट लिखा- ‘इस कलाकृति में वायु प्रदूषण से बने पेंट का इस्तेमाल किया गया है।’

प्रदूषण जैसी नेगेटिव चीज़ का कला में इस्तेमाल वाकई सराहनीय है। मगर पूरी दुनिया के लिये खतरा बन चुके वायु प्रदूषण के खिलाफ ठोस कदम उठाना ज़रूरी है।

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