विज्ञान का कमाल, सिर्फ विचारों से कंट्रोल होंगे रोबोट

विज्ञान का कमाल, सिर्फ विचारों से कंट्रोल होंगे रोबोट

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विज्ञान और तकनीक में नित नये विकास हो रहे है, जिससे ऐसी चीज़ें भी संभव हो गई हैं, जिसके बारे में कोई सोच भी नहीं सकता था। एक ऐसा ही कारनामा कर दिखाया है, मेरठ के साइंटिस्ट ने। उन्होंने ऐसी तकनीक इजाद की है, जिसकी मदद से कोई सिर्फ अपनी सोच से ही मशीनों को कंट्रोल कर सकता है।

कमाल विज्ञान का

विज्ञान की बदौलत ही हमारी ज़िंदगी आज इतनी आसान हो गई है और आगे भी यह इंसानी सुविधाओं में सुधार लाने की दिशा में काम करता रहेगा। हाल ही में मेरठ के रहने वाले भारतीय मूल के वैज्ञानिक गौरव शर्मा का नाम सुर्खियों में छाया रहा। इसकी वजह गौरव का अनूठा कारनामा है। दरअसल, उन्हें अमेरिकी सेना के लिए एक अनोखा सिस्‍टम विकसित करने के लिये चुना गया है। इस सिस्टम की मदद से सैनिक सिर्फ अपने विचारों से ड्रोन, रोबोट और दूसरी मशीनों को कंट्रोल कर पायेंगे। सुनकर भले ही आपको अजीब लगा हो, लेकिन यह सच है। गौरव की टीम के साथ इस काम के लिये यूएस डिफेंस अडवांस्‍ड रिसर्च प्रोजेक्‍ट्स एजेंसी (DARPA) ने 2 करोड़ डॉलर का कॉन्ट्रैक्ट किया है। गौरव शर्मा की टीम उन छह टीमों में से एक है, जिन्‍हें ब्रेन-मशीन इंटरफेस डिवेलप करने के लिए ग्रांट मिली है। 40 वर्षीय गौरव शर्मा अमेरिका स्थित शोध संस्‍थान बटैले में सीनियर रिसर्च साइंटिस्‍ट हैं।

पहले भी कर चुके हैं अनोखी खोज

गौरव ने साल 2016 में ऐसी तकनीक विकसित की थी, जिसकी मदद से लकवाग्रस्‍त इंसान अपने विचारों की मदद से हाथों को हिलाने में कामयाब रहा था। उस समय भी उनके काम की बहुत चर्चा हुई थी।  डीएआरपीए ने गौरव और उनकी टीम को जो नई जिम्मेदारी सौंपी है, वाकई बहुत महत्वपूर्ण है। इसके तहत एक इंजेक्शन के ज़रिये शरीर में नैनोट्रांसड्यूसर को कुछ समय के लिए डाला जायेगा, जिसकी मदद से इंसानी दिमाग और मशीनें एक-दूसरे के साथ संकेतों की मदद से बात कर पायेंगे।

नर्व सिस्‍टम को समझने में अहम

नैनोट्रांसड्यूसर या नैनो सेंसर को टेंपरेरी शरीर में इंजेक्शन के ज़रिये शरीर में ड़ाला जायेगा। इसकी मदद से इंसानी दिमाग मशीनों, रोबॉट और ड्रोन से संपर्क कर पायेगा। इस सिस्‍टम को ब्रेनस्‍टॉर्म नाम दिया गया है। गौरव ने एक इंटरव्यू के दौरान कहा कि इसके ज़रिये नर्व सिस्‍टम के बारे में अहम जानकारी मिल सकती है। उन्होंने 2016 में न्‍यूरो-लाइफ नाम की न्‍यूरोप्रोस्‍थेटिक तकनीक का विकास किया था। इसकी मदद से लकवे का शिकार हुआ एक मरीज ठीक हो गया था।

विज्ञान की ये तरक्की साबित करती है कि इंसान यदि ठान लें, तो दुनिया में कोई भी काम असंभव नहीं होता।

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