सोचे-समझे, फिर फैसला लें

सोचे-समझे, फिर फैसला लें

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ज़िंदगी क्रिकेट की तरह है, जिसमें आप बैट्समैन हो और ज़िंदगी बॉलर। ज़िंदगी अपनी मर्ज़ी से कई तरह की गेंद हमारी तरफ फेंकती है और हमें पता ही नहीं होता कि कब कौन सी गेंद हमारी तरफ आयेगी। ऐसे में हमारे पास भी कुछ पल होते हैं, ये सोचने और निर्णय लेने के लिये कि शॉट कैसा खेलना है। गेंद बॉलर के पास से आप तक आने के बीच जो यह पल होता है, आज हम उसी पल की बात करने जा रहे हैं।

अकबर और बीरबल

इन दोनों की कई कहानियां आपने सुनी होंगी, जिसमें बीरबल ने अपनी बुद्धि के बल पर सम्राट अकबर की मुश्किल से मुश्किल परेशानियां भी हल कर दी थी। पर इस कहानी में एक बार सम्राट अकबर बीरबल से गुस्सा होकर राज्य छोड़ कर जाने के लिए कहते हैं। बीरबल उसके आदेश का पालन करके दूर के एक गांव में नाम बदल कर एक किसान के साथ खेती करने लगते हैं।

बीरबल की आई याद

कई दिन बीत जाते हैं और अकबर को बीरबल की कमी महसूस होने लगती है। उनकी सलाह के बिना वह कई समस्याओं के हल निकालने में परेशानी महसूस करने लगे। अकबर को जल्दबाज़ी में लिये गये फैसले पर पछतावा होने लगता है और एक दिन वह बीरबल को ढ़ूंढकर वापस लाने के लिये तरकीब निकालते हैं। अकबर सैनिकों के द्वारा पूरे देश में खबर भिजवाते हैं कि या तो एक मिट्टी के घड़े में बुद्धि भर के भेजो, नहीं तो उसे हीरे-जवारात से भरकर दो।

Wisdom or Gold in the Pot
घड़े में बुद्धि या सोना पर चर्चा | इमेज : फाइल इमेज

फिर क्या हुआ?

गांव के लोग परेशान होने लगते हैं कि घड़े को बुद्धि से कैसे भरें क्योंकि यह तो असंभव है और इतने हीरे-जेवरात कहां से लायें? सबको परेशानी में देख बीरबल इसका हल ढ़ूंढने के लिये एक महीने का समय मांगता है। लोगों के पास हां करने के सिवा कोई और उपाय नहीं था। इस एक महीने में बीरबल एक छोटे से तरबूज को जड़ से जुड़े हुए ही घड़े में डाल देता है और समय-समय पर उसमें खाद-पानी डालता है। धीरे-धीरे तरबूज बढ़ने लगता है और कुछ समय बाद घड़े के साइज़ का हो जाता है।

बीरबल सैनिकों को वह घड़ा सौंप देता है और यह कहता है कि इसमें बुद्धि भरी हुई है। लेकिन इसे निकालना है, तो बिना काटे और बिना घड़े को तोड़े ही निकालना होगा। अकबर सैनिकों की बात सुनकर समझ जाता है कि इसके पीछे बीरबल ही है। वह सैनिकों से बीरबल के गांव का पता पूछता है और खुद उसको लेने जाता है।

किसी भी फैसले को लेते समय ‘ पूरा समय दें’

– किसी की बात बुरी लगे, तो उस पर तुरंत रिऐक्ट न करें। पहले खुद को उसकी जगह रख कर देखें, फिर प्रतिक्रिया दें।

– अगर आपके सामने कोई मुश्किल आ जाये, तो हार न मानें। कुछ समय लेकर सोचेंगे तो समाधान निकल आयेगा।

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