जीवन की बेहतरी के लिए 4 आयामों में संतुलन है ज़रूरी

जीवन की बेहतरी के लिए 4 आयामों में संतुलन है ज़रूरी

आपका शरीर सिर्फ भौतिक ही नहीं, भावनात्मक, मानसिक और आध्यात्मिक भी है।
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क्या आप एक संतुलित ज़िंदगी चाहते हैं? तो आपको न सिर्फ अपने भौतिक शरीर, बल्कि भावनात्मक, मानसिक और आध्यात्मिक शरीर पर भी ध्यान देना होगा, क्योंकि व्यक्ति का शरीर सिर्फ बाहरी ही नहीं होता। जीवन में सही संतुलन के लिए चारों आयाम भौतिक, भावनात्मक, मानसिक और आध्यात्मिक को संतुलित करना ज़रूरी है और ऐसा आप तभी कर सकते हैं जब आपको इन चारों आयामों की सही समझ होगी।

भौतिक आयाम

इसमें न सिर्फ आपकी त्वचा, बल्कि शरीर के उसके अंदर मौजूद शारीरिक अंग आदि भी शामिल हैं। जब आपका शरीर स्वस्थ होगा तभी आप कोई भी काम सही तरीके से और मन लगाकर कर सकते हैं चाहे वह ध्यान लगाना हो या ज्ञान प्राप्ति। स्वस्थ और संतुलित शरीर का मतलब है हर तरह के दर्द, विषाक्तता और बीमारी से दूर। जबकि इसके विपरित यानी शारीरिक असंतुलन से आप उम्र से पहले बूढ़े नज़र आने लगते हैं, शरीर का लचीलापन कम हो जाता है और आपको एक भारीपन महूसस होगा, जिससे किसी काम को सही तरीके से नहीं कर पाएंगे।

कैसे करें संतुलित?

भौतिक आयाम यानी शारीरिक संलुतन को वापस लाने या बनाए रखने के लिए मेडिटेशन करें, खुले मैदान में नंगे पांव चलें, योग का अभ्यास करें, स्ट्रेचिंग आ मसाज करें।

भावनाओं का भी ख्याल रखने की ज़रूरत है । इमेज : फाइल इमेज

भावनात्मक आयाम

सिर्फ शरीर को स्वस्थ रखना ही ज़रूरी नहीं है, बल्कि भावनाओं का भी ख्याल रखने की ज़रूरत है। भावनात्मक शरीर में नर्वस सिस्टम, हार्मोन, स्पर्श और आंसू भी शामिल हैं। यह प्रेम से जुड़ा है और इस बात से भी आप दुनिया के प्रति कैसी प्रतिक्रिया करते हैं। यदि आप भावनात्मक रूप से संतुलित हैं कि आपके विचार और सपने शांत रहेंगे, आपके हार्मोन संतुलित रहेंगे, आपकी हृदय गति और ब्लड प्रेशर सामान्य रहेगा। जबकि भावनात्मक असंतुलन की स्थिति में व्यक्ति किसी पर जल्दी विश्वास नहीं करता, खुद पर भी नहीं और एंग्जाइटी का शिकार हो जाता है।

कैसे करें संतुलित?

हर व्यक्ति के लिए भावनात्मक संतुलन का एक ही तरीका कारगर हो ज़रूरी नहीं, फिर भी आप इन उपायों को आज़मा सकते हैं। ब्रिदिंग एक्सरसाइज़ व डांस करें, कॉमेडी वीडियो देखें, हठ योग और उपवास करें। दूसरों को माफ करने की कला सीखना भी बहुत ज़रूरी है।

मानसिक आयाम

इसमें आपके विचार, दृष्टिकोण और पूर्वाग्रह शामिल हैं। जिनके विचार और दृष्टिकोण स्पष्ट होते हैं वह अपने जीवन को संतुलित कर पाते हैं और ज्ञान प्राप्ति भी उनके लिए आसान होती है क्योंकि वह किसी चीज़ पर आसानी से फोकस कर सकते हैं, साथ ही ऐसे व्यक्ति सही तरीके से अपनी बात लोगों तक पहुंचा पाते हैं और समस्या का समाधान करने में एक्सपर्ट होते हैं। जबकि ऐसा न होने पर व्यक्ति भ्रम और संदेह के साये में रहता है। जो लोग मानसिक रूप से बहुत उत्तेजित होते हैं उनके जीवन में स्थिरता भी नहीं रहती।

कैसे करें संतुलित?

अपने मानसिक आयाम यानी मन और विचारों को संतुलित रखने के लिए आप कुंडलिनी योग, टॉक थेरेपी और क्षमा करने की कला सीखें।

आध्यात्मिक आयाम

सभी आयामों में यह बहुत अहम है और यह ब्रह्मांड से जुड़ाव का प्रतिनिधित्व करता है। आध्यात्मिक रूप से संतुलित व्यक्ति बहुत शांत, अत्यधिक कलात्मक और बहादुर होते हैं। ऐसे लोग खुद को किसी महान शक्ति के हिस्से के रूप में देखते हैं, जबकि इसके विपरित आध्यात्मिक रूप से असंतुलित व्यक्ति अपने अंतःज्ञान को भी नहीं समझ पाता और न ही जीवन में वास्तविक व कठिन स्थितियों का सामना कर पाते हैं।

कैसे करें संतुलित?

इसे संतुलित करने के लिए सांसों से जुड़ी कसरत/योग करें, मेडिटेशन और दूसरों के प्रति दायलुता व दान की भावना विकसित करें।

एक संतुलित जीवन के लिए इन चारों आयामों को समझना और उन्हें संतुलित रखना ज़रूरी है।

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