बोर्ड एग्ज़ाम और बच्चों के दिल की बात

बोर्ड एग्ज़ाम और बच्चों के दिल की बात

एग्ज़ाम के दौरान जानिये बच्चों की मन की बात
FacebookTwitterLinkedInCopy Link

आजकल पढ़ाई बच्चों के लिए कोई जंग जीतने जितनी ही मुश्किल हो चुकी है। 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षाओं को लेकर जिस तरह का हौवा बनाया गया है, उससे तो कई बार यही महसूस होता है कि बस ये परीक्षाएं ही बच्चे का भविष्य तय करेंगी जबकि ऐसा नहीं है। दुनिया में बहुत से ऐसे सफल लोग हैं जो अपने क्लास में कभी फर्स्ट नहीं आए, जिनकी 80-90% मार्क्स नहीं आए, इसके बावजूद अपनी फील्ड में उन्होंने बहुत दौलत और शोहरत कमाई है। 10वीं और 12वीं की परीक्षा के डर या स्ट्रेस कई बार बच्चों में इतना ज़्यादा हो जाता है कि वह गलत कदम तक उठा लेते हैं। ऐसे में पैंरेंट्स को अपने रवैये पर नए सिरे से सोचने और अपने बच्चे के मन को समझने की ज़रूरत है। आखिर बच्चों के मन में क्या चलता है जानने के लिए ThinkRight.me ने बात की कुछ छात्रों से।

छात्रों के मन की बात

10वीं में पढ़ने वाले रेयान कहा कहना है, “मैं लकी हूं कि मेरे पैरेंट्स मेरे ऊपर किसी तरह का प्रेशर नहीं डालते पढ़ाई को लेकर, वह बस इतना कहते हैं जो भी करो मन लगाकर करना, लेकिन मैंने अपने बाकी दोस्तों के पैरेंट्स को देखा है वह मार्क्स के लिए बच्चे को बहुत प्रेशराइज़ करते हैं, ऐसा लगता है मार्क्स ही ज़िंदगी में सबकुछ है। ऐसे पैरेंट्स से मैं कहना चाहूंगा कि प्लीज़ अपने बच्चों पर इतने दबाव मत डालिए कि वह कुछ गलत कदम उठा लें। अगर 10वीं में नंबर अच्छे नहीं आए तो क्या हुआ 11वीं में आ जाएंगे। 10वीं के बोर्ड एग्ज़ाम को लेकर कुछ ऐसा माहौल बना दिया गया है जैसे लगता है यह कितना मुश्किल काम है। प्लीज़ पैरेंट्स आप बच्चों का स्ट्रेस कम करने में मदद करें, तभी उनका परफॉर्मेंस अच्छा हो पाएगा।”

एग्ज़ाम की तैयारी करते बच्चे
एग्ज़ाम की तैयारी करते बच्चे |इमेज : फाइल इमेज

क्या कहते हैं बच्चे

एक अन्य छात्र प्रियांशु सिंह कहते हैं, “मम्मी तुम मेरी पढ़ाई को लेकर इतना स्ट्रेस क्यों लेती हो, तुम्हें देखकर मुझे भी टेंशन होने लगती है। जब तुम फोन पर लोगों से मेरी पढ़ाई को लेकर अपनी चिंता जाहिर करती हो कि पता नहीं बोर्ड एग्ज़ाम में क्या करेगा ये लड़का तो मेरा कॉन्फिडेंस कम हो जाता है। प्लीज़ आप अपना काम करो और मुझे अपने तरीके से पढ़ने दो। मैं वादा करता हूं कि मैं अपनी तरफ से पूरी ईमानदारी से पढ़ाई करूंगा।”

हिमांशी अपने दिल की बात शेयर करते हुए कहती हैं, “हर बार एग्ज़ाम के समय आप मेरा दोस्तों से बात करना और टीवी देखना पूरी तरह से बंद कर देती हैं मां। इससे मुझे ऐसा लगता है कि मैं जेल में हूं। मैं 8 घंटे लगातार नहीं पढ़ सकती, माइंड को रिफ्रेश करने के लिए थोड़ा ब्रेक चाहिए। प्लीज़ मां एग्ज़ाम का इतना स्ट्रेस मत दीजिए कि अच्छा होने की बजाय मेरा परफॉर्मेंस डर के मारे और खराब हो जाए।”

सौम्या अपनी मां तक यह मैसेज पहुंचाना चाहती है, “मम्मी मेरे एग्ज़ाम के समय आपके चेहरे का स्ट्रेस मुझे और नर्वस कर देता है, सो प्लीज़ आप इतना स्ट्रेस मत लो, आई प्रॉमिस की मैं पूरी मेहनत कर रही हूं, लेकिन मेरे मार्क्स अगर आपकी फ्रेंड की बेटी से कम आए तो प्लीज़ मुझपर गुस्सा मत करना। जब आप मुझे उससे कंपेयर करती हूं, मेरा कॉन्फिडेंस कम हो जाता है, ऐसा लगता है मैं कुछ नहीं हूं। अब हर बच्चा 100% तो नहीं ला सकता न मां, मगर 60% लाने वाला भी कई बार ज़िंदगी में बहुत आगे बढ़ सकता है, अगर उसमें कॉन्फिडेंस है तो। बस आपसे रिक्वेस्ट है कि आप मुझपर भरोसा रखिए।”

बच्चे को समझे

10वी का एग्ज़ाम ज़रूरी है, लेकिन यह ज़िंदगी का आखिरी इम्तिहान नहीं है और यह बात पैरेंट्स और स्टूडेंट्स दोनों को समझनी होगी। आप कोशिश करें, लेकिन एग्ज़ाम में यदि नंबर अच्छे नहीं आते हैं तो निराश होकर कुछ गलत कदम उठाने से पहले यह याद रखिए कि असफलता का मतलब सब खत्म होना नहीं है, बल्कि इसका मतलब है फिर से एक शुरुआत करना।

और भी पढ़िये :  सफेद और चमकते दांतों के लिए आज़माएं आसान उपाय

अब आप हमारे साथ फेसबुक, इंस्टाग्रामट्विटर और टेलीग्राम पर भी जुड़िये।

Your best version of YOU is just a click away.

Download now!

Scan and download the app

Get To Know Our Masters

Let industry experts and world-renowned masters guide you towards a meditation and yoga practice that will change your life.

Begin your Journey with ThinkRight.Me

  • Learn From Masters

  • Sound Library

  • Journal

  • Courses

Congratulations!
You are one step closer to a happy workplace.
We will be in touch shortly.