आत्मचिंतन के विषय में गौतम बुद्ध ने कहा है कि ‘मनुष्य आत्मचिंतन से जितना अधिक सीख सकता है, उतना किसी बाहरी स्रोत से नहीं।’ इसलिए कहा जाता है कि स्वयं दीपक बनो। इसका मतलब यह कि आत्म चिंतन तथा बुद्धि से खुद को प्रकाशमान बनाएं।
कोई भी काम करने से पहले आत्मचिंतन से सभी पहलुओं को ज़रूर समझे। इस तरह हम आत्मचिंतन की शक्ति का अधिकतम लाभ उठाकर अपने जीवन को और अधिक सफल और खुशहाल बना सकते हैं।
आत्मचिंतन का अर्थ
आत्म यानी खुद और चिंतन का अर्थ है किसी बात की गहराई में जाना, उसको कई प्रकार से सोचना। चिंतन जीवन का आनंद है। जब हम चिंतन करते हैं, तो अपने फैसलों को सोचने और समझने की शक्ति मिलती है और इसी से हम खुद से भी जुड़ाव महसूस करते हैं।
क्यों ज़रूरी है आत्म-चिंतन करना?
आज के जीवन में हर कोई अपने आप में ही व्यस्त है। हर किसी की दिनचर्या, हर किसी का व्यवहार, दूसरों के साथ बात करने का तरीका, दूसरों के प्रति नज़रिया, उन्हें जानना पहचानना सब कुछ बदल रहा है। इन सारे परिवर्तनों के पीछे आते हैं हमारे विचार, जो हमने स्वयं में धारण किये हुए हैं।
हमारा दूसरों के साथ या दूसरों के प्रति हमारा नजरिया पल-पल बदलता क्यों हैं ? इस नजरिये के बदलने के पीछे आते हैं किसी एक व्यक्ति के स्वयं के विचार उसकी धारणाएं। वह दूसरों के प्रति क्या सोचता है, किस तरह से सोचता है। इस तरह के सभी बोझ या भारीपन को दूर करने के में आत्मचिंतन काफी मदद करता है।
सही दिशा में बढ़ना
खुद की गहरी सोच में खुद को देखना और अपने काम का आंकलन करना। किसी काम को करने या होने के बाद उसके करने में हमारे द्वारा अपनाई गई क्रिया और विचार शक्ति का विश्लेषण करना। जिससे हम जान पाते हैं कि हम कहां है? क्या करना चाहिए, आदि निर्णय ले पाते हैं कि किस दिशा में बढ़ना है। सही गलत में अंतर और विवेकपूर्ण फैसला कर पाते हैं और भटकने से खुद को बचाते हैं।
खुद में सुधार करना
आत्म-चिंतन से हम खुद को जान पाते हैं, खुद का विश्लेषण कर पाते हैंI हमने किसी बात को कैसे सोचा और समझा, किया आदि बातें शामिल है। किसी काम को करने के लिये या काम होने के बाद उसमें सुधार की दृष्टि से अपनाई गयी क्रिया या विचार पद्धति का विश्लेषण यह सब आत्म-चिंतन हैI जब हम खुद का अवलोकन करते हैं, तो अपनी कमियों तथा गलतियों से सीखते हैं। आत्मचिंतन से हम अपने काम को बेहतर तरीके से करने की कोशिश कर पाते हैंI
भावनाओं पर काबू
अक्सर देखा गया है जो लोग आत्म चिंतन की प्रवृत्ति के होते है, वह अपने अवगुणों को कम कर देते हैं। गुस्सा, डर और उदासी आदि भावनाओं पर काबू पा सकते हैं। समस्याओं को सुलझाने में मदद मिलती है। आत्मचिंतन के जरिये खुद के अंदर झांकने से हम अपनी बुराइयों को दूर करने के साथ हम अपनी कमज़ोरियों व कमियों को पहचान सकते हैं। इसलिए हमारे जीवन में आत्मचिंतन करना बेहद जरुरी है।
अगर हमें खुद को बेहतर बनाना और मन में शांति का अनुभव करना है, तो एक बार आत्मचिंतन जरूर करें। जीवन में पॉज़िटिव बदलाव लाने, सम्पूर्णता लाने के लिये आत्म-चिंतन करना बहुत ज़रूरी और फायदेमंद है।
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