खुद से बात करना क्यों है ज़रूरी और क्या है इसके फायदे

खुद से बात करना क्यों है ज़रूरी और क्या है इसके फायदे

खुद से बात करने पर चीज़ों को समझने का नज़रिया स्पष्ट होता है
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आपने अपने आसपास शायद कुछ ऐसे लोग देखे होंगे जो अकेले में खुद से बातें करते हैं और शायद कुछ लोग उन्हें पागल समझते हैं, मगर क्या आप जानते हैं कि खुद से बात करना यानी सेल्फ टॉक आपके लिए बहुत फायदेमंद है। इससे न सिर्फ मानसिक स्वास्थ्य अच्छा रहता है, बल्कि आत्मविश्वास भी बढ़ता है। तो चलिए जानते हैं, सेल्फ टॉक के फायदे और कैसे आप इसकी शुरुआत कर सकते हैं?

क्या है सेल्फ टॉक?

सेल्फ टॉक यानी अपनी अंतरात्मा से बात करना। जीवन में जब कभी कोई रास्ता न दिखे और आपको इस बात पर यकीन न हो कि कोई आपको सही सलाह देगा तो एक बार खुद से बात करके देखिए। अपनी अंतरात्मा से पूछिए कि आप जो करने जा रहे हैं या जिस रास्ते पर चलने जा रहे हैं क्या वह सही है? यकीन मानिए आपको सही जवाब मिलेगा। खुद से बात करने पर आप अपने आप को बेहतर ढंग से समझ पाते हैं और चीज़ों को लेकर नज़रिया स्पष्ट होता है। बहुत से लोग आइने के सामने खड़े होकर अपने आप से बात करते हैं, इससे तनाव भी कम होता है।

खुद से बात करना बहुत ज़रूरी है । इमेज : फाइल इमेज

सेल्फ टॉक के/ खुद से बात करने फायदे?

जानकारों की मानें तो खुद से की गई पॉज़िटिव बातचीत न सिर्फ आपका मनोबल बढ़ाता है, बल्कि आपकी ऑफिस में परफॉर्मेंस और रिश्तों में भी सुधार लाता है। आप अच्छा महसूस करते हैं और तनाव कम होता है जिसका असर आपकी शारीरिक और मानसिक सेहत पर पड़ता है। इसके अलावा खुद से बात करने के और भी फायदे हैं जैसे-

  • जीवन से अधिक संतुष्टि मिलती है
  • इम्यून सिस्टम मज़बूत होता है
  • दर्द कम होता है
  • कार्डियोवस्कुलर स्वास्थ्य अच्छा रहता है
  • तनाव कम होता है आदि।

कैसे करें खुद से बात/सेल्फ टॉक

सेल्फ टॉक कुदरती प्रक्रिया है, लेकिन यह हमेशा पॉज़िटिव हो यह ज़रूरी है क्योंकि निगेटिव सेल्फ टॉक का आपके व्यक्तित्व पर भी नकारात्मक असर होता है। इसलिए जानकारों का मानना है कि सेल्फ टॉक के दौरान भाषा का खास ध्यान रखें और खुद को ‘मैं’ से संबोधित करने की बजाय किसी तीसरे व्यक्ति के रूप में संबोधित करें। खुद से की गई सकारात्मक बात आपके आत्मविश्वास को बहुत बढ़ा देती है। पॉज़िटिव सेल्फ टॉक कोई मुश्किल काम नहीं है, बस आपको थोड़ा अभ्यास करने की ज़रूरत है। इसके लिए कुछ बातों का ध्यान रखें-

नेगेटिव सेल्फ टॉक को पहचाने- कुछ विशेष परिस्थितियों या लोगों के साथ रहने पर आप निगेटिव सेल्फ टॉक ज़्यादा करने लगते हैं। ऐसे में उन स्थितियों और लोगों की पहचान करके उससे दूर रहने की कोशिश करिए, क्योंकि जब आप नकारात्मकता से दूर होंगे तभी खुद से सकारात्मक बातें कर पाएंगे।

भावनाओं को पहचानें- जब कुछ बुरा होता है तो मन में बुरे ख्याल आना लाज़मी है, ऐसे में कुछ देर के लिए रुके और सोचे कि कैसे आप इन नकारात्मक भावनाओं से उबर सकते हैं।

हंसी का बहाना तलाशे- हंसी तनाव और टेंशन को कम कर देती है और आप अच्छा महसूस करते हैं। जब आप अच्छा महसूस करते हैं तो खुद से पॉज़िटिव बात करते हैं। हंसी के लिए कोई मज़ाकिया वीडियो या धारावाहिक देख सकते हैं।

सकारात्मक लोगों के साथ रहें- विचारों पर संगत का बहुत असर होता है, इसलिए हमेशा ऐसे लोगों के साथ रहने की कोशिश करें जो सकारात्मक बात करते हैं। साथ ही सकारात्मक प्रेरणा वाली किताबें पढ़ें, अच्छे विचारों को फॉलो करें।

पॉज़िटिव सेल्फ टॉक के कुछ उदाहरण

  • मुझमें अपने विचार बदलने की शक्ति है।
  • मुझे अपने विचार बदलने की अनुमति है।
  • मुझे अपनी कोशिशों पर गर्व है।
  • उस लक्ष्य को पान के लिए जिस साहस की ज़रूरत है वह मुझमे हैं।
  • मैं जैसा भी हूं खुद से प्यार करता हूं।
  • डर बस एक भावना है जो मुझे आगे बढ़ने से रोक नहीं सकता।
  • पिछली गलतियों के लिए मैंने खुद को माफ कर दिया।

तो अगर आप खुद से बात करते हैं, तो ध्यान रखिए कि पॉज़िटिव और आत्मविश्वास बढ़ाने वाली बाते करिए।

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