सोच को नेगेटिव बनाती है बदले की भावना

सोच को नेगेटिव बनाती है बदले की भावना

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कोई आपके साथ बुरा व्यवहार करता है या सताता है, तो आपके मन में क्या आता है?  उसे माफ कर दिया जाये या फिर ‘मैं तो उसे अच्छा सबक सिखाउंगा।’ यदि पहला वाक्य आता है तो ठीक है, लेकिन यदि आप उसे सबक सिखाने की ठान लेते हैं, तो बदले की यह भावना आपके लिए सही नहीं है। बदले की भावना न सिर्फ हमारे विचारों को नेगेटिव कर देती है, बल्कि हमारा चरित्र भी खराब कर देती है। नेल्सन मंडेला की यह कहानी इस बात को गहराई से समझने में आपकी मदद करेगी।

सच्चाई से रूबरू कराती कहानी

दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति रह चुके नेल्सन मंडेला को भला कौन नहीं जानता। वह न सिर्फ अपने देश में बल्कि दुनियाभर में शांति के दूत के रूप में लोकप्रिय रहे हैं। दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति बनने के बाद एक बार नेल्सन मंडेला अपने सुरक्षाकर्मियों के साथ रेस्टोरेंट में खाना खाने गये। सबने अपनी-अपनी पसंद का खाना आर्डर किया और इंतज़ार करने लगे।

उसी वक्त मंडेला की नज़र सामने वाली सीट पर बैठे एक शख्स पर गई, जो खाने का ऑर्डर देने का बाद इंतज़ार कर रहा था। मंडेला ने अपने सुरक्षाकर्मियों से कहा कि उस शख्स को भी अपनी टेबल पर बुला लो। सुरक्षाकर्मियों ने ऐसा ही किया। कुछ ही देर में खाना आ गया और सबने अपने भोजन का आनंद लिया, मगर जिस शख्स को बुलाया गया था वह कुछ डरा-सहमा लग रहा था। खाना खाते वक्त भी उसके हाथ कांप रहे थे। जैसे-तैसे उसने खाना खत्म किया और सिर झुकाकर बिना किसी से कुछ कहे तुरंत रेस्टोरेंट से बार चला गया।

सोच को नेगेटिव बनाती है बदले की भावना
धैर्य से ले काम | इमेज : फाइल इमेज

राष्ट्रपति ने दिया परिचय

उस व्यक्ति के जाने के बाद सुरक्षाकर्मियों ने नेल्सन मंडेला से कहा कि शायद वह व्यक्ति बीमार था, तभी खाना खाते समय उसके हाथ और वह खुद बहुत कांप रहा था। इसकी बाद मंडेला ने जो कहा सुनकर सब हैरान रह गये। उन्होंने बताया कि वह व्यक्ति बीमारी की वजह से नहीं कांप रहा था। दरअसल, नेल्सन मंडेला जब जेल में कैद थे, तो वही शख्स उस जेल का जेलर था। उसने नेल्सन मंडेला को जेल में बहुत टॉर्चर किया था।

मिलती है सीख

इतना क्रूर व्यवहार करने वाले शख्स के साथ भी मंडेला ने अच्छा बर्ताव किया। इसे देखकर लोग हैरान थे। फिर मंडेला न कहा, “मैं अब राष्ट्रपति बन चुका हूं, यह देखकर शायद उस जेलर ने सोचा होगा कि मैं भी उसके साथ वैसा ही व्यवहार करूंगा। लेकिन मेरा चरित्र ऐसा नहीं है। मुझे लगता है बदले की भावना से काम करना विनाश की ओर ले जाता है। वहीं धैर्य और सहिष्णुता की मानसिकता हमें विकास की ओर ले जाती है।” मंडेला की बात सौ फीसदी सच है। जब हम किसी से बदला लेने के बारे में सोचते हैं, तो खुद का भी नुकसान करते हैं। यह भावना हमें नेगेटिव सोच की ओर ले जाती है।

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