हम हैं केयरिंग फ्रेंड्स

हम हैं केयरिंग फ्रेंड्स

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ज्यादातर लोगों का सपना होता है कि उन्हें एक ऐसी नौकरी मिले, जहां पांच दिन काम होता हो, अच्छी तनख्वाह और फैसेलिटीस हो, और कुछ दोस्त हो, जिनके साथ वीकएंड पर मस्ती की जा सके। लेकिन कुछ ऐसे भी लोग हैं, जो अपने काम के साथ-साथ ज़रूरतमंदों की मदद करते है। साथ ही उन्हें ऐसे दोस्तों की तलाश होती है, जो साथ में समाज सेवा करें। रमेश कचोलिया ऐसे लोगों में से एक हैं, जिन्होंने अपने काम और परिवार के साथ दूसरों के लिए भी समय निकाला और धीरे-धीरे कुछ दोस्त बनाएं, जिनके साथ आने से बना केयरिंग फ्रेंड्स।

क्या है केयरिंग फ्रेंड्स

केयरिंग फ्रेंड्स एक ऐसा संस्थान है, जो कई दिशाओं जैसे, शिक्षा, पानी की समस्या, महिलाओं के सशक्तिकरण, जानवरों के हित और संरक्षण आदि के लिए काम करता है। यह संस्थान नॉन रजिस्टर्ड है, फिर भी पिछले चौदह सालों में 600 डोनर्स के साथ जुड़ा, जिन्होंने 200 करोड़ से ज़्यादा का फंड डोनेट किया। केयरिंग फ्रेंड्स ने इस फंड को 17 राज्यों की अस्सी दूसरी संस्थाओं में वितरित किया और यह सब सिर्फ विश्वास पर आधारित था। डोनर्स को इस संस्थान पर विश्वास इसलिए हुआ क्योंकि किसी भी एनजीओ के साथ जुड़ते समय केयरिंग फ्रेंड्स पहले अपना पैसा लगाती हैं और जब यह सुनिश्चित हो जाए कि पैसों का सदुपयोग हो रहा है, तब डोनर्स से पैसा दिलवाते हैं।

इमेजः यूट्यूब

कहां से हुई शुरुआत

साल 1981 में रमेश कचोलिया बाबा आम्टे के संपर्क में आए और नागपुर के पास स्थित महारोगी सेवा समिति का दौरा किया। वहां कई तरह के मरीजों का इलाज होता था, जिसे देखकर रमेश के मन में भी उन लोगों के लिए कुछ करने की चाह हुई। वहां फंड की जरूरत थी, हालांकि रमेश के लिए जॉब के साथ आश्रम के लिए फंड लाना थोड़ा मुश्किल था, लेकिन इसके बावजूद रमेश ने आश्रम के लिए एक बड़ी रकम इकट्ठा की। यह वही समय था, जब रमेश ने लोगों के कल्याण के लिए काम करना शुरु किया। अगले सात साल रमेश ने आश्रम के लिए डोनेशन्स इकट्ठा की। बाबा उनके काम से बहुत खुश थे, लेकिन वह चाहते थे कि रमेश उन छोटी-छोटी संस्थाओं की मदद करें, जिन्हें ज़रूरतमंदों की सेवा करने के लिए आर्थिक सहारे की ज़रूरत होती है। अगले 32 साल उन्होंने अपनी नौकरी और समाज सेवा को साथ में किया, लेकिन 2003 में नौकरी छोड़ कर सारा ध्यान समाज सेवा पर केंद्रित कर दिया। 2005 में उनकी मुलाकात निमेश सुमति से हुई, जिनकी सोच रमेश से मिलती थी। अब तक रमेश दस संस्थाओं के साथ जुड़ चुके थे लेकिन इस दोस्ती के बाद केयरिंग फ्रैंड्स बना। आज 14 सालों बाद स्थिति यह है कि लगभग चार सौ संस्थाएं केयरिंग फ्रैंड्स के साथ जुड़ने के लिए इंतज़ार में हैं।

हाल में किया एक बड़ा प्रोजेक्ट

इस साल केयरिंग फ्रैंड्स ने  महाराष्ट्र के करीब 3,070 डैम्स को साफ करने का काम किया। इस कदम से 31,000 किसानों को लाभ पहुंचा और 65 लाख गांव में पानी की समस्या खत्म हो गई। यह प्रोजेक्ट केयरिंग फ्रैंडस का अब तक का सबसे बड़ा प्रोजेक्ट है।

जिस तरह रमेश ने समाज सेवा के लिए अपना नि:स्वार्थ कदम उठाया और निमेश के साथ मिल कर केयरिंग फ्रैंड्स की स्थापना की, वह सराहनीय है।

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इमेजः गूगल साइट्स

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