दुनियाभर में कोरोना का ऐसा कहर बरसा, जिसने इंसान को न सिर्फ आर्थिक रूप से चोट पहुंचाई, बल्कि मानसिक रुप से भी झनझोर कर रख दिया। कई लोगों ने तो कोरोना के कारण अपने प्रियजनों को खोने गम भी सहा है। अपनों को खोने के दुख में अक्सर व्यक्ति भावनात्मक रुप से खुद को संभाल नहीं पाता है, जिसका असर व्यक्ति के निजी जीवन के साथ प्रोफेशन लाइफ भी पड़ता नज़र आता है। ऐसी परिस्थितियों से निपटने की कोशिश करने के कुछ तरीके हैं। जिनकी मदद से व्यक्ति अपनी व्यक्तिगत दुखों का असर प्रोफेशन लाइफ पर होने से रोक सकते हैं और मानसिक संतुलन बनाए रखकर भावनाओं पर काबू पा सकते हैं।
जो हुआ, उसे स्वीकार करें
जीवन हमेशा के लिए नहीं है अगर कोई जन्म लेता है, तो उसका अंत भी निश्चित है। यही जीवन की सच्चाई है। इस दुख से निपटने के लिए पहला उपाय यही है कि कि इस परिस्थिति को स्वीकारे। इससे उबरने में समय लगता है, लेकिन जीवन में आगे बढ़ने में मदद भी करता है।
सहकर्मियों के साथ शेयर करें
कहते है कि दुख शेयर करने से कम होता है और यह बात सच भी है। अपने सहकर्मियों से अपने दुख को शेयर करें उन्हें बताएं कि आपको उनसे किस प्रकार के सपोर्ट की ज़रूर होगी। अगर आप अपने सभी सहकर्मियों या टीम के साथ अपनी परिस्थिति शेयर करने में संकोच करते हैं, तो इसे केवल एक व्यक्ति के साथ शेयर करें। बातों को शेयर करने से सहकर्मी आपको वर्कप्लेस में सहज महसूस कराने में मदद करेंगे।
दोस्तों से लें मदद
एक कामकाजी व्यक्ति हमेशा घर पर मौजूद नहीं रह सकते है। काम करते समय कई तरह के नियम होते है, जिसका पालना करना होता है। जैसेकि काम और समय की सीमा जिसे अपने निजी काम के लिए नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। गंभीर परिस्थितियों में वर्कप्लेस में रहकर दुख का सामना करना बहुत मुश्किल हो जाता है। ऐसे में दोस्त ही होते है, जो हमारे दुख को समझते हैं और ऐसी परिस्थिति में हमेशा मौजूद रहते हैं। यह आपको अपने काम पर ध्यान केंद्रित करने में मदद करते है, साथ ही खुद को कोसने से बचाते हैं।
खुद को समय दें
अनचाही घटनाओं या परिस्थितियों में व्यक्ति के दिमाग में कई तरह के नेगेटिव विचार आते हैं, जिसका सामना करना मुश्किल होता है। जब व्यक्ति खुद को समय देता है, तो वह अपने भावनाओं पर नियंत्रण करता है। अपने विचारों को स्पष्ट रखता है, ताकि गंभीर समय में वह अपने दुखों को सामना कर सकें और किसी को उनके वजह से कोई दिक्कत न हो। अपनी सूझबूझ से वर्कप्लेस में शांति के साथ अपना काम दूसरों को समझा सके।
एचआर को सूचित ज़रूर करें
वैसे तो वर्कप्लेस में दोस्त और सहकर्मी और यहां तक कि आपके बॉस या मैनेजर मौजूद होंगे, लेकिन ह्यूमन रिसोर्स (एचआर) को अपनी परिस्थितियों के बारे में जानकारी देना बहुत ज़रूरी है। ताकि बाकी साथियों को बार-बार एचआर को सूचित करना पड़े और किसी सहकर्मी के काम पर कोई प्रभाव न पड़े। एचआर भी निश्चित रूप से आपकी हर संभव मदद कर सकेंगे।
किसी भी दुख का सामना करने के लिए हमें यह ख्याल हमेशा होना चाहिए कि यह समय का एक पड़ाव और यह समय भी गुज़र जाएगा। इस तरह की मानसिकता के साथ आप दुख का सामना आसानी से कर पायेगे।
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