एक्सक्लूसिवः अपना नाम किया सार्थक

एक्सक्लूसिवः अपना नाम किया सार्थक

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जैसा नाम, बिलकुल वैसा ही व्यक्तित्व। 56 साल की संगीता शर्मा ने अपने नाम को सार्थक करते हुए सारा जीवन संगीत को समर्पित कर दिया है। वैसे तो वह दिल्ली के एक सरकारी स्कूल में बतौर म्यूज़िक टीचर कार्यरत हैं, लेकिन अपना बाकी समय वह बच्चों को संगीत की शिक्षा देने में बिताती हैं और इतनी ही नहीं, वह आर्थिक रूप से कमज़ोर न जाने कितने बच्चों को संगीत की शिक्षा दे चुकी हैं और उन छात्रों में से कई अब खुद संगीत के शिक्षक बन चुके हैं।

संगीत मिला विरासत में

संगीता शर्मा को संगीत विरासत में मिला है। इस बारे में वह कहती है कि मेरे पिताजी ने मुझे और मेरे पांचों भाई-बहनों को संगीत की दुनिया से रूबरू कराया और आज हमारे परिवार के कई लोग इस क्षेत्र से जुड़े है। पिताजी के बाद हमारे चाचाजी ने संगीत की इस जोत को जलाये रखा है। संगीता के लिये संगीत अराधना है और वह अपना खाली समय रियाज़ करने में बिताती हैं।

एक्सक्लूसिवः अपना नाम किया सार्थक
आत्मनिर्भरता के सुर सिखाती संगीता

संगीत तक ही सीमित नहीं संगीता

संगीता ने संगीत की शिक्षा को किसी एक क्षेत्र तक सीमित न रखते हुए कई विषयों में महारथ हासिल की। उन्होंने वोकल म्यूज़िक में एमए (संगीत भास्कर व संगीत प्रवीण) किया, इसके अलावा कथक, तबला और सितार में प्रभाकर किया है। वह संगीत प्रतियोगिताओं के आयोजन और भागीदारी से संगीत विरासत को बढ़ावा देने में सक्रिय रूप से शामिल रही हैं। दिल्ली कला संगम, सुर संगम संस्थान, जयपुर जैसे कई संस्थानों ने उन्हें पुरस्कृत भी किया है। इतना ही नहीं, फिल्म जगत के सुप्रसिद्ध कलाकार जैसे वैजयंती माला, पंकज उदास, कवि अशोक चक्रधर ने उन्हें सम्मानित भी किया है।

बच्चों को बनाया आर्थिक रूप से सक्षम

संगीता शर्मा ने कई बच्चों को संगीत की शिक्षा दी है, उनमें छात्रा दीपिका सूद कहती है कि संगीता मैम ने मुझे संगीत का ऐसा रास्ता दिखाया कि आज मैं आत्मनिर्भर बन गई हूं। हालांकि शुरु में मैने संगीत को शौकिया तौर पर सीखना शुरु किया था, लेकिन धीरे-धीरे मुझे इसी क्षेत्र में नौकरी के विकल्प समझ आने लगे और मैंने वोकल के साथ-साथ दूसरे इंस्ट्रूमेंट भी सीखने शुरु कर दिये। आज मैं एक सरकारी स्कूल में म्यूज़िक टीचर हूं।

संगीता के लिये म्यूज़िक सिर्फ विरासत में मिली सौगात ही नहीं है, बल्कि यह मेडिटेशन करने का एक तरीका भी है। उनके अनुसार संगीत से जुड़े रहने से बच्चों में एकाग्रता और याददाश्त अच्छी रहती है, जिससे वह पढ़ाई में भी अच्छा प्रदर्शन कर सकता है। यह आपके पूरे व्यक्तित्व को संवारने में सहायक होता है।

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