‘मुझे टाइम ही नहीं मिलता, कैसे करूं मेडिटेशन’, क्या आप भी मेडिटेशन न करने के लिये कुछ ऐसा ही बहाने ढ़ूंढते हैं? यदि हां, तो चलिये आपके बहानों या फिर मेडिटेशन के डर को दूर किये देते हैं ताकि आप बेफिक्र होकर ध्यान लगा सकें।
बहाना- मेरे पास समय नहीं है और कैसे करना है, मुझे पता भी नहीं है।
समाधान- ज़रूरी नहीं कि आपको आधा या एक घंटा ध्यान लगाना है। सिर्फ पांच- दस मिनट के समय में भी आप मेडिटेशन कर सकते हैं और नियमित रूप से करने पर आपको कुछ ही दिनों में इसका असर भी दिखने लगेगा। स्ट्रेस कम हो जायेगा और फोकस बढ़ेगा। जब भी आपको थोड़ा समय मिले, किसी शांत जगह पर बैठ जायें। अब आंखें बंद करके गहरी सांस लें और धीरे-धीरे छोड़ें, दिमाग को शांत रखें, यदि कोई विचार आ रहा है तो आने दें, बस सांस पर फोकस करें।
बहाना- मुझे नहीं पता कि मैं इसे ठीक तरह से कर रहा हूं या नहीं।
समाधान- मेडिटेशन की प्रैक्टिस का कोई एक सही तरीका नहीं है, बस आपको हर पल का पूरी फ्रेशनेस के साथ सामना करना है। हमें वर्तमान के पलों में गहराई से उतरना है, लेकिन जब हम आगे बढ़ते हैं तो बीते पल को वहीं छोड़ देना है, उसे लेकर आगे नहीं जाना। जब आप वर्तमान में जीना सीख जायेंगे, तो मेडिटेशन आसान हो जायेगा।
बहाना- मेरा मन बिखरा हुआ, मुझे इससे कुछ हासिल नहीं हुआ है।
समाधान- पहले से निर्धारित उम्मीदों और धारणाओं को छोड़ दें, क्योंकि यह आपका ध्यान भटकाती है। बस खुद से कहें कि आप अगले पांच से बीस मिनट मेडिटेशन को समर्पित करने जा रहे हैं। मेडिटेशन के दौरान पॉज़िटिव या नेगेटिव चाहे जैसे भी विचार आयें, उन्हें जाने दें। अपना फोकस सांस पर केंद्रित करें और महसूस करें कि आपके व्यस्त दिमाग को जागरुक रखना भी मेडिटेशन का हिस्सा है।
बहाना- मैं अनुशासित नहीं हूं।
समाधान- नियमित रूप से मेडिटेशन करने के लिये आपको इसे अपनी प्राथमिकता सूची में सबसे ऊपर रखना होगा। जिस तरह से आप डेली ब्रश करते हैं और नहाते हैं, वैसे ही मेडिटेशन को अपने डेली रुटीन में शामिल करें। ऐसा करने पर अनुशासन अपने आप बन जायेगा और ‘मेरे पास समय नहीं है’ जैसे बहाने भी आप नहीं बनायेंगे। मानसिक शांति और पॉज़िटिव थिंकिंग बढ़ाने के लिये मेडिटेशन बहुत ज़रूरी है, तो अब तक यदि आपने शुरू नहीं किया है तो अब से इसे अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनायें।
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