कहानीः बिना जताये की मदद
बात करीब 15 साल पुरानी है, जब मैं* बैंगलुरु के एक कॉलेज से इंजीनियरिंग कर रही थी। मेरे फाइनल एग्ज़ाम पास आ रहे थे, इसलिए पढ़ने के लिए मैं अक्सर लाइब्रेरी चली जाती थी। हर रोज़ की तरह उस शाम भी मैं लाइब्रेरी से अकेले लौट रही थी, फर्क सिर्फ इतना था कि उस दिन थोड़ी ज़्यादा देर हो गई थी। गर्ल्स होस्टल लाइब्रेरी से कुछ मील की दूरी पर था, इसलिए मैने शॉर्ट-कट ले लिया। हालांकि उस रास्ते पर छोटी-छोटी कुछ दुकानें थी, लेकिन आस-पास ज़्यादा लोग नहीं दिख रहे थे। थोड़ा सा आगे चली, तो मैंने महसूस किया […]