क्यों ज़रूरी है बच्चों को भावनाएं सिखाना?

क्यों ज़रूरी है बच्चों को भावनाएं सिखाना?

खुद को जाहिर करने का ज़रिया होती हैं भावनाएं
FacebookTwitterLinkedInCopy Link

खुशी, दुख, मायूसी, चिढ़, गुस्सा यह सारी भावनाएं हैं जो बच्चे से लेकर बड़े तक हर कोई किसी खास परिस्थिति में ज़ाहिर करता है। बड़ों को पता होता है कि इन भावनाओं को कब, किसके सामने और कैसे जाहिर करना है, लेकिन बच्चों के साथ ऐसा नहीं होता। इसलिए बहुत जरूरी है कि छोटी उम्र से ही न सिर्फ उन्हें इमोशन यानी भावनाओं के बारे बताया जाए, बल्कि उसे स्वीकारने और जाहिर करने का सही तरीका भी बताना चाहिए, इससे वह आगे चलकर तनाव व चिंता से बच सकते हैं।

मिसेज शर्मा का 3 साल के बेटा गुस्सा होने पर सामने रखी हर चीज़ फेक देता है, लेकिन वहीं प्रिया की 3 साल की बेटी ऐसा नहीं करती। गुस्सा उसे भी आता है, लेकिन तब वह बस बात करना बंद कर देती है और शांत बैठ जाती है। दोनों बच्चों के व्यवहार में इस अंतर का कारण है उनके पैरेंट्स। शायद मिसेज शर्मा ने अपने बच्चे को भावनाओं को सही तरीके से समझना या जाहिर करना नहीं सिखाया या फिर वह खुद गुस्से में कुछ वैसा ही करती होंगी, जैसा उनके बेटा करता है। इसलिए बहुत जरूरी है कि बच्चों को भावनाओं की सही समझ और उसे व्यक्त करने का तरीका पता हो।

क्यों जरूरी है इमोशन सिखाना?

घबराहट घटाता है

इंसान का मन में भावनाओं का भंडार होता है, तो परिस्थितियों के हिसाब से प्रतिक्रिया देता है। छोटे बच्चे के लिए भावनाओं का यह जाल डरावना हो सकता है, इसलिए उन्हें पहले तो भावनाओं के बारे में बताना जरूरी है, जैसे खुशी, डर, गुस्सा, निराशा आदि। जब वह इसे समझेंगे तभी वह अपनी भावनाओं को स्वीकार कर पाएंगे, वरना भावनाओं के भंवर में फंसकर चिंतित और तनावग्रस्त रहेंगे।

इमोशन को समझने से इमोशनल इंटैलिजेंस बढ़ती है

कुछ पैरेंट्स को लगता है कि बच्चे खुद ही अपनी भावनाओं को सही तरीके से जाहिर करना सीख जाएंगे,लेकिन ऐसा नहीं होता है। भावनाओं को व्यक्त करने का सही तरीका सीखने के लिए सबसे पहले बच्चे को भावनाओं की शब्दावली पता होनी चाहिए। पैरेंट्स को बच्चे को उम्र के हिसाब से भावनाओं के नाम बताने चाहिए इससे बच्चा खुद को व्यक्त कर पाएगा और उसकी इमोशनल इंटैलिजेंसी बढ़ेगी।

भावनाओं को व्यक्त करना सिखाएं | इमेज : फाइल इमेज
सही व्यवहार करना सीखते हैं

जब आप बच्चे को भावनाओं को सही तरीके से व्यक्त करना सिखाती हैं, तब वह आपके और दूसरों के साथ भी अच्छा व्यवहार करते हैं। जैसे उन्हें समझाएं कि गुस्सा आने पर कुछ देर के लिए अकेले में शांत बैठ जाए और मन को शांत करने के लिए गिनती या एबीसीडी पढ़ें। इस तरह से वह खुद की भावनाओं पर काबू रखना सीख जाएंगे, भले ही इसमें थोड़ा समय लगेगा।

सही भावनात्मक विकास

यदि आपका बच्चा भावनाओं को दबाता है, तो उसका सही विकास नहीं हो पाएगा और न ही वह अपनी क्षमता का सही उपयोग कर पाएगा, क्योंकि उसके अंतर्मन में बार-बार वही भावनाएं आती रहेंगी। इसलिए जब उसे गुस्सा आए तो उसे सही तरीके से जाहिर करना, दुखी या खुश होने पर अपनी भावनाएं जाहिर करना सिखाएं ताकि उसका सही भावनात्मक विकास हो।

अच्छा मानसिक स्वास्थ्य

जो बच्चे अपनी भावनाओं को दबाते नहीं है और उसे सही तरीके से व्यक्त करते रहते हैं, उनके नाकारात्मक विचारों से घिरने और चिंतित या तनावग्रस्त होने की संभावना कम रहती है। यानी उनका मानसिक स्वास्थ्य अच्छा रहता है।

शारीरिक स्वास्थ्य के लिए भावनात्मक रूप से स्वस्थ रहना जरूरी है

बड़ों की तरह ही बच्चे भी यदि दुख, चिढ़ और उदासी की भावना को मन में लंबे समय तक दबाए रहते हैं, तो उन्हें सिरदर्द, पेटदर्द, अल्सर या हाई ब्लड प्रेशर जैसी समस्या हो सकती है। यदि आप चाहती हैं कि बच्चा पूरी तरह से स्वस्थ रहे, तो इसे भावनाओं के नाम, उसे जाहिर करने का तरीका और उसे स्वीकारना सिखाएं।

और भी पढ़िये : भारतीय महिलाओं ने बदला साड़ी का अंदाज़

अब आप हमारे साथ फेसबुक, इंस्टाग्राम और  टेलीग्राम  पर भी जुड़िये।

Your best version of YOU is just a click away.

Download now!

Scan and download the app

Get To Know Our Masters

Let industry experts and world-renowned masters guide you towards a meditation and yoga practice that will change your life.

Begin your Journey with ThinkRight.Me

  • Learn From Masters

  • Sound Library

  • Journal

  • Courses

Congratulations!
You are one step closer to a happy workplace.
We will be in touch shortly.