सड़क के गड्ढे अब नहीं करेंगे परेशान

सड़क के गड्ढे अब नहीं करेंगे परेशान

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विकास के लिए सड़कों का होना और सही हालत में होना बहुत जरूरी होता है, लेकिन अगर भारत की सड़कों की हालत देखी जाए, तो सड़कों पर बने गड्ढे हर साल सैकड़ों लोगों की मौत का कारण बनते हैं। इसके बावजूद सबंधित विभाग कोई सबक लेने को तैयार नहीं है। हालांकि, एक स्कूल के बच्चों ने ऐसी ऑटोमैटिक मशीन बनाई है, जिसके जरिये इन गड्ढों को आसान और बेहद कम समय में ही भरा जा सकेगा। खास बात यह है कि अब तक इन गड्ढों को भरने का काम ज्यादातर मैन्युअली ही होता रहा है। लेकिन, विजयवाडा के क्रॉसवर्ड स्कूल के छात्रों ने एक ऐसा अनूठी मशीन बनाई है, जिसे उन्होंने ‘पोट होल वॉरियर’ का नाम दिया है। यह सड़कों के गड्ढों की पैचिंग करने वाली ऑटोमैटिक मशीन है।

छात्रों ने जीता अवॉर्ड

स्कूल के प्रिंसिपल केशव रेड्डी ने बताया कि अक्टूबर के आखिरी हफ्ते में आईआईटी, खड़गपुर में यंग इनोवेटर्स प्रोग्राम आयोजित किया गया था। इसमें छात्रों के ‘पोट होल वॉरियर’ डिज़ाइन ने फर्स्ट रनरअप का अवॉर्ड जीता था। खास बात यह कि इस प्रोग्राम में दो हज़ार से भी ज्यादा स्कूलों ने अपने आइडिये भेजे थे, जिनमें से महज 24 टीमों को आईआईटी कैंपस में उनके वर्किंग मॉडल पेश करने के लिए आमंत्रित किया गया था।

गड्ढों को भरने का नया तरीका | इमेजः द हिंदू

ऑटोमैटिक तरीके से भरेंगे सड़कों के गड्ढे

हेमा श्रीवानी एस, विष्णुतेजा सीएच और सुधांशु जी ने इस पोर्टेबल व्हीलबैरो युक्त ‘पोट होल वॉरियर’ को डिज़ाइन किया, जो गड्ढों की पैचिंग करने के दौरान इस्तेमाल होने वाले टार मिक्सचर को ढोता है। मशीन ऑटोमैटिक तरीके से चले, इसके लिए व्हीलबैरो के नीचे इलेक्ट्रॉनिक सर्किट्री लगाया गया है। सर्किट्री में अल्ट्रासाउंड सेंसर, आर्डिनो माइक्रो-कंट्रोलर और सर्वो मोटर शामिल हैं। सेंसर गड्ढे के डायमेंशंस को मापता है। उसके इनपुट के आधार पर माइक्रो कंट्रोलर टार-मिक्सचर की मात्रा का अनुमान लगाता है, जिसे सर्वो मोटर द्वारा ऑटोमैटिक तरीके से आउटलेट पोर्ट पर नियंत्रित करते हुए बिछाया जाता है। एक बार टार के फैल जाने के बाद एक पेडल से चलने वाला रोलर गड्ढों में टार को समतल कर देता है।

स्कूल के कोर्स ने भी दी प्रेरणा

यह दूसरी बार है, जब स्कूल को इस प्रतिष्ठित यंग इनोवेटर प्रोग्राम के लिए चुना गया है।  स्कूल प्रबंधन का कहना है कि स्कूल के कोर्स को इस तरह से डिज़ाइन किया जाता है, जिससे छात्रों की क्रिएटिव सोच को दिशा मिल सके और उन्हें आसपास की समस्याएं हल करने के लिए नए युग के हिसाब से जरूरी कौशल प्रदान किया जाता है।

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