राजधानी दिल्ली और आसपास के इलाकों में प्रदूषण की वजह से लोगों का घर से निकलना मुश्किल हो रहा है। दिल्ली की आबो हवा में इतना प्रदूषण हो गया कि ये दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों में शुमार हो गई है, इसलिये दिल्ली में वायु प्रदूषण की समस्या को दूर करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया है कि वह अलग-अलग स्थानों पर प्यूरीफाइंग टावर या स्मॉग टावर लगाने की योजना तैयार करें।
क्या है स्मॉग टावर ?
स्मॉग टावर एक बहुत बड़ा एयर प्यूरीफायर है। यह अपने आसपास से प्रदूषित हवा या उसके कणों को सोख लेता है। फिर वापस पर्यावरण में साफ हवा छोड़ता है। ये सोलर पावर पर काम करते हैं। इनके प्यूरीफॉयर इतने मज़बूत होते हैं कि ये पीएम 2.5 और पीएम 10 जैसे खतरनाक कणों को भी सोख लेते हैं। ये सोलर पावर पर काम करते हैं। इनके प्यूरीफॉयर इतने मज़बूत होते हैं कि ये पीएम 2.5 और पीएम 10 जैसे खतरनाक कणों को भी सोख लेते हैं।
हवा कितनी स्वच्छ होती है?
यह स्मॉग टावर की क्षमता पर निर्भर होता है। साल 2016 में चीन में जो एयर प्यूरीफायर लगाया गया था, वह सात मीटर लंबा था। यह एक घंटे में 29,000 m3 हवा साफ करता है। इसके बाद चीन में ही 100 मीटर का स्मॉग टॉवर लगाया गया था। दावा किया जाता है कि यह 16 मिलियन m3 हवा हर रोज़ साफ करता है। चीन ने हवा को प्रदूषण मुक्त करने के लिए कई शहरों में स्मोग टावर लगाये हैं।
स्मॉग टॉवर कैसे करता है काम ?
टावर में लगे क्लीनर 99.99 प्रतिशत प्रदूषकों को साफ करते हैं और ये काम नौ चरणों में किया जाता है। ये फिल्टर पार्टिकुलेट मैटर (पीएम) 10 को हटा देते हैं।
क्या होगा फायदा?
फिलहाल दिल्ली की एक कंपनी ने स्मॉग टावर बनाने की शुरूआत कर दी है। दिल्ली में 40 फुट लंबे और 20 फुट चौड़े स्मॉग टावर प्रतिदिन 32 मिलियन क्यूबिक मीटर हवा को साफ करने की क्षमता रख सकते हैं। तीन किलोमीटर के दायरे में स्वच्छ हवा मिलने का लाभ 75,000 लोगों को मिलेगा।
अगर ये फार्मूला सफल रहा, तो आने वाले समय में दिल्लीवासी एक बार फिर से स्वच्छ हवा में सांस ले पाएंगे।
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