आईआईटी जोधपुर के छात्रों ने पानी और सूरज की रोशनी का इस्तेमाल कर भविष्य का ‘फ्यूचर फ्यूल’ तैयार करके एक नया कीर्तिमान बनाया है। इस ‘फ्यूचर फ्यूल’ को जिस तरह से तैयार किया गया है, वह वाकई आने वाले समय में काफी फायदेमंद साबित होने वाला है।
प्योर हाइड्रोजन है नेचुरल
आईआईटी जोधपुर के केमेस्ट्री डिपार्टमेंट के रिसर्चर ने ‘फ्यूचर फ्यूल’ तैयार करने में सूरज की ऊर्जा का बेहतर तरीके से इस्तेमाल किया है। रिसर्चर ने लैंथेनाइड नाम के कैटेलिस्ट से ऑक्सीजन और हाइड्रोजन मॉलिक्यूल्स को पानी से अलग करने के तरीके को खोज निकाला हैं। इससे ऑक्सीजन तत्व को इकट्ठा करके ईधन के रूप में प्रयोग किया जा सकता है। इस प्रक्रिया से प्योर हाइड्रोजन अलग हो जाती हैं और उपलब्ध हाइड्रोजन को नेचुलर फ्यूल के रूप में यूज किया जा सकता है। खास बात यह कि हाइड्रोजन का प्रयोग करने से प्रदूषण बिल्कुल ही नहीं होता है और यह प्रक्रिया हाइड्रोजन फ्यूल सेल टेक्नोलॉजी की तरह ही है।
कैसे पता चला प्योर हाइड्रोजन का?
आईआईटी जोधपुर में केमेस्ट्री डिपार्टमेंट के हेड ऑफ डिपार्टमेंट राकेश कुमार शर्मा कहते हैं कि इस खोज तक पहुंचने के लिए और प्योर हाइड्रोजन को खोजने में लगभग 700 तरह के अलग अलग कैटेलिस्ट कॉम्बिनेशन का इस्तेमाल किया गया हैं। इसके बाद ही प्योर हाइड्रोजन का पता चल पाया है। वह बताते हैं कि इस प्रोसेस को करने में मीथेन को एक हज़ार से दो हज़ार डिग्री सेल्सियस टेंप्रेचर पर गर्म करना पड़ता है, तब जाकर हाइड्रोजन मिलता है। अहम बात यह कि आईआईटी-जोधपुर ने इस प्रक्रिया को पेटेंट करने के लिए आवेदन भी कर दिया है। चूंकि इस प्रक्रिया की लागत काफी ज्यादा है, इसलिए टीम ने तय किया किया है कि वह इसे कम लागत में तैयार करेगी। इसके लिए टीम अब राजस्थान की मिट्टी का उपयोग कर हाइड्रोजन तैयार करेगी।
हाइड्रोजन का प्रयोग बहुत महंगा
हाइड्रोजन को भविष्य के ईधन के रूप में देखा जा रहा है और कई दिग्गज ऑटोमोबाइल कम्पनियों ने इस दिशा में काम करना शुरू कर दिया है। अब वे गाड़ियों का निर्माण भी इसी सोच के साथ कर रहे हैं लेकिन हाइड्रोजन की कीमत अधिक होने के कारण अभी इसका इतना प्रयोग नहीं किया जा रहा है।
हालांकि आईआईटी जोधपुर की रिसर्च पहली बार लैंथेनाइड के उपयोग से कम कीमत में प्योर हाइड्रोजन बनाने में कामयाब हुई है। फिलहाल इसकी लागत का अंदाजा नहीं है, लेकिन अगर दाम का पता चल गया, तो यह एक महत्वपूर्ण तकनीक साबित हो सकती है।
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