पेरेंट्स हमेशा चाहते है कि उनके बच्चों का भविष्य बेहतर हो, इसलिए वे अपने बच्चे को नामी व प्राईवेट स्कूल में पढ़ाना पसंद करते हैं। लेकिन, उत्तराखंड के एक आईएएस कपल ने अपने बच्चे को सरकार द्वारा संचालित आंगनवाड़ी सेंटर में पढ़ने भेजकर देश के तमाम पेरेंट के बीच अनूठी मिसाल पेश की है।
सरकारी संस्था का चयन
आईएएस कपल नितिन भदौरिया व स्वाति श्रीवास्तव ने अपने दो साल के बेटे अभ्युदय को पढ़ने के लिए गोपेश्वर गांव स्थित आंगनवाड़ी सेंटर भेजा है। स्वाति उत्तराखंड के चमोली जिले की डीएम हैं, तो वही उनके पति नितिन अल्मोड़ा के जिलाधिकारी हैं। हैसियत के हिसाब से आईएएस होने के कारण वे अपने बच्चे का एडमिशन किसी भी बड़े और महंगे स्कूल में करा सकते थे लेकिन उन्होंने इसके लिए सरकारी संस्था को चुना। इस बारे में स्वाति का कहना है कि आंगनवाड़ी सेंटर में वह सारी सुविधाएं मौजूद होती हैं, जिन्हें किसी बच्चे के विकास के लिए जरूरी माना जाता है।
सरकारी संस्थाओं में विश्वास
स्वाति व नितिन के इस फैसले से समाज को यह संदेश भी जा रहा है कि सरकारी अधिकारी भी सरकारी संस्थाओं में विश्वास करते हैं। साथ ही वे देशभर के उन तमाम लोगों के लिए एक उदाहरण भी पेश कर रहे हैं, जो यह सोचते हैं कि सरकारी स्कूलों में कम सुविधाएं उपलब्ध होती हैं।
बच्चे को कंप्लीट माहौल देना मकसद
स्वाति कहती हैं कि मेरा बच्चा अपने साथी बच्चों के साथ बांटकर खाना खाता है और घर लौटने पर वह खुश भी नज़र आता है। स्वाति ने बताया कि वह अपने बच्चे को एक ऐसे माहौल में बड़ा होते देखना चाहती थीं, जहां वह अपने दम पर बहुत कुछ सीख सके। आंगनवाड़ी सेंटरों में आज हर तरह की सुविधाएं उपलब्ध हैं, जो किसी बच्चे के विकास के लिए जरूरी है। ऐसे में आंगनवाड़ी के प्रति लोगों को भी अपना नज़रिया बदलना चाहिए।
स्वाति और नितिन जैसे सरकारी अफसरों ने अपने इस अनूठे काम से समाज को यह मैसेज दिया है कि वे सिस्टम में पूरा विश्वास करते हैं। साथ ही, उन्होंने यह भी बताने का प्रयास किया है कि वास्तविक प्रभाव शब्दों में नहीं, बल्कि एक्शन में दिखता है।
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