आज की जनरेशन के लिए घर पर टेलीविज़न यानि टीवी होना बहुत ही आम बात है। यह उतना ही आम है, जितना घर में कोई ज़रूरी सामान का होना है। पर क्या आप जानते हैं कि आप से एक या दो जेनरेशन पहले के लोगों के लिए घर में टीवी होना आम नहीं बल्कि बहुत बड़ी बात होती थी। जैसे आज के बच्चे एक-दूसरे के घर प्ले डेट पर जाते हैं, ठीक वैसे ही उस समय जिस घर में टीवी होता था, वहां आस-पास के घरों के लोग इकट्ठा होकर टीवी देखने पहुंच जाते थे। वो दौर ही कुछ और था। तो, चलिए आपको बताते हैं टीवी की कहानी।
टीवी पहली बार आया भारत में
- 15 सितंबर 1959 में पहली बार भारत में टीवी आया और इसका केंद्र दिल्ली था। उस समय केवल 21 कम्यूनिटी टीवी सेट्स मौजूद थे।
- तेरह साल बाद साल 1972 में टीवी सर्विसिज़ दिल्ली से मुंबई पहुंची और साल 1975 में कोलकता, चेन्नई, श्रीनगर,अमृतसर और लखनऊ में टीवी स्टेशन बन गए। यह सब प्रसार भारती के तहत बने थे। प्रसार भारती भारतीय सरकार के अधीन है। इसका बुनियादी ढ़ांचा यानी स्टूडियोज़ व ट्रांसमीटर्स के पैमाने पर दुनिया के सबसे बड़े ब्रॉडकास्टिंग संस्थानों में से एक है।
- साल 1976 में टीवी सेवाओं को रेडियो से अलग कर दिया गया था।
- दूरदर्शन चैनल अपने दर्शकों को नेशनल, रीजनल और लोकल सर्विस उपलब्ध कराता है। साल 1982 से इसने राष्ट्रीय स्तर पर प्रोग्राम टेलीकास्ट करने शुरु किए थे।
- 1982 का साल एक और मायने में खास था, क्योंकि इसी साल भारत को टीवी की रंगीन दुनिया देखने को मिली थी।
टीवी की रंगीन दुनिया
- पहला कलर प्रोग्राम 15 अगस्त, 1982 को स्वतंत्रता दिवस की परेड का लाइव टेलीकास्ट था। इसके बाद एशियन गेम्स, दिल्ली को भी टेलीकास्ट किया गया था। अस्सी का दशक दूरदर्शन का युग था, जिसमें लोग अपने मनपसंद धारावाहिकों को देखने के लिए सब काम जल्दी खत्म करके घर आ जाया करते थे।
- फिर वह दौर आया, जब विदेशी व निजी प्रसारकों को अपने चैनल खोलने की इजाज़त मिली। साल 1991 में प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव के नेतृत्व में आर्थिक और सामाजिक सुधारों की एक सीरीज़ शुरू की। नई नीतियों के तहत सरकार ने कई निजी और विदेशी प्रसारकों जैसे सीएनएन, स्टार टीवी और निजी घरेलू चैनलों जैसे ज़ी टीवी, ईटीवी, सन टीवी और एशियानेट ने सैटेलाइट ब्रॉड्कास्ट शुरू किया।
- 1962 में 41 सेटों और एक चैनल (दूरदर्शन) से शुरू होकर, साल 1995 तक भारत में टेलीविजन ने 7 करोड़ से ज़्यादा घरों में टीवी का बोलबाला हो गया। अब 40 करोड़ से ज़्यादा लोगों को 100 से ज़्यादा चैनल देखने का विकल्प मिल गया था।
- आज भारत में 1600 से ज़्यादा सैटेलाइट टीवी चैनल्स ब्रॉडकास्ट किए जाते हैं। इसमें सरकारी और निजी प्रसारक दोनों मौजूद हैं।
टीवी ने समय के साथ कई बदलाव देखे और ये प्रक्रिया यूं ही निरंतर चलती रहेगी।
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