खाना खाते समय कई बार आप यह कहकर खाना छोड़ देते हैं कि अच्छा नहीं बना या पेट नहीं भरा, तो उसी समय कोई ऐसा भी व्यक्ति होता है जो भूखे पेट सो रहा होता है। या फिर ऐसे भी लोग होते हैं, जो एक ही प्लेट से थोड़ा-थोड़ा खाना खा कर अपना गुज़ारा कर रहे होते हैं। ऐसे लोगों के लिए भोपाल नगर निगम (बीएमसी) ने एक कदम उठाया है, जिसके चलते होस्टल, केटरर, मैरिज गार्डन आदि का बचा हुआ साफ खाना ज़रूरतमंदो तक पहुंच सकेगा।
बहुत खाना होता है वेस्ट
भोपाल में कम से कम सौ मैरिज गार्डन्स, सौ के करीब होस्टल्स और हज़ारों की तादाद में स्ट्रीट फूड वेंडर्स हैं, जो करीबपचास टन वेस्ट या बिना इस्तेमाल किये खाना डंप कर देते हैं। इस खाने को कोई भी व्यक्ति खा सकता है। बीएमसी कमिश्नर बी विजय दत्ता चाहते हैं कि ऐसे खाने के वेस्टेज को रोकने की कोशिश की जानी चाहिये। इसी के चलते बीएमसी कई एनजीओ के साथ कॉर्डिनेट कर रही है। बीएमसी का मानना है कि होटल्स से फेंके गये खाने में से आधा खाना खाने योग्य होता है। दुनिया का एक तिहाई खाना यूज़ होने से पहले ही फेंक दिया जाता है।
‘स्वच्छ भारत अभियान’ को ध्यान में रखा गया
बचे हुए खाने को बर्बाद होने से रोकने की पहल को स्वच्छ भारत अभियान से भी जोड़ा जा रहा है। बीएमसी के अफसर खाद्य व प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट की भी चर्चा कर रहे हैं।
ऐसा माना जा रहा है कि बचे हुये खाने को कई लाखों परिवारों को दान दिया जा सकता है। इसके अलावा बचा हुआ खाना, जो खाने योग्य नहीं हैं, उसे पांच बायोगैस प्लांट्स में प्रोसेस किया जा सकता है।
कहां से आया यह आइडिया?
खाना बचाकर ज़रूरतमंदों तक पहुंचाने का आइडिया ‘किताब घर’ स्कीम की सफलता के बाद आया, जिसमें बीएमसी ने करीब एक लाख किताबें इकट्ठा की थी। इस सफलता में शहरवासियों का बड़ा योगदान रहा है, जिससे सरकारी स्कूल के बच्चों को भी लाभ पहुंचा है।
कोई पेट भूखा न रहे, उसके लिये कदम ‘उठाये सही’
– अन्न का आदर करें।
– खाना फेंकने की जगह किसी ज़रूरतमंद को परोसें।
– समाज के प्रति कर्तव्य छोटे-छोटे कदमों से भी निभाया जा सकता है।
और भी पढ़िये : अमृता प्रीतम- अद्भुत लेखिका
अब आप हमारे साथ फेसबुक, इंस्टाग्राम और ट्विटर पर भी जुड़िये।