ऐ मेरी ज़मीं, अफ़सोस नहीं जो तेरे लिये सौ दर्द सहे
महफ़ूज़ रहे तेरी आन सदा, चाहे जान मेरी ये रहे ना रहे….
राजस्थान में गोविंदपुरा गांव के बेटे और भारत मां के लाल रोहिताश लांबा के अंदर कुछ ऐसा ही जज़्बा था, अपने भारत की सेवा के लिये। जब 25 साल की उम्र में उनकी सेंट्रल रिज़र्व पुलिस फोर्स (सीआरपीएफ) में भर्ती हुई थी, तब उन्होंने सोचा भी नहीं था कि वह भारत मां की सेवा बस कुछ ही समय कर पायेंगे। सर्विस के दो साल के अंदर ही 14 फरवरी 2019 को पुलवामा के अवंतिपुर डिस्ट्रिक्ट में हुये कायराना आत्मघाती हमले में वह शहीद हो गये थे। इस हमले में सीआरपीएफ के 40 से भी ज़्यादा जवान शहीद हो गये थे। जहां इस खबर को सुनते ही पूरा देश हिल गया था, तो वहीं रोहिताश के घर और पूरे गांव में मातम छा गया था।
एक फोन कॉल ने दुनिया बदल दी
रोहिताश के दोस्त की माने तो उनके घर पर सब समान्य ही चल रहा था। परिवार वाले बहुत खुश थे, क्योंकि अगले महीने होली पर छुट्टी लेकर रोहिताश अपने घर आने वाले थे। वैसे तो उनके आने से ही घर में खुशियों की लहर दौड़ जाती थी, लेकिन इस बार कुछ खास था। रोहिताश की एक साल पहले ही शादी हुई थी और दो महीने की बेटी अपने पापा को पहली बार देखने के लिए इंतज़ार कर रही थी। बेटी को देख रोहिताश के चेहरे पर जो चमक आती, उसे देखने के लिये पूरा परिवार बेसब्री से इंतेज़ार कर रहा था।
लेकिन इस बार रोहिताश आ न सकें, आई तो उनकी शहादत की खबर देने के लिए एक टेलीफोन कॉल। उस कॉल ने पूरे परिवार को हिलाकर रख दिया। उनका मां और पत्नी को इस बात का इतना बड़ा झटका लगा कि वे बेसुध हो गईं, उन दोनों की तबियत खराब हो गई और उन्हें अस्पताल में भर्ती करवाना पड़ा। पूरा परिवार स्तब्ध था और पूरे गांव में मातम था।
रोहिताश का भाई भी करेगा मातृभूमि की सेवा
रोहिताश के भाई जीतेंद्र को अपने भाई पर गर्व है और वह उसी के दिखाये रास्ते पर चल कर सिक्योरिटी फोर्सेज़ ज्वॉइन करना चाहते हैं। इसके लिये वह एग्ज़ाम की तैयारी भी कर रहे हैं।
पूरे देश को इन बेटों के साथ-साथ उस मां पर गर्व है, जिसने ऐसे सपूतों को जन्म दिया। साथ ही हम रोहिताश की पत्नी के हौसलें को सलाम करते हैं और कामना करते हैं कि उनकी आने वाली ज़िंदगी सुकून भरी हो।
इमेज : ट्विटर
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