बैसाखी कहें या बिहू, पोइला कहें, बोइशाख कहें, या फिर पुथांडू ; 14 अप्रैल आते ही पूरे भारत में खुशी की लहर दौड़ जाती है क्योंकि भारत के कई प्रमुख राज्यों में इसे साल के पहले दिन या साल के पहले फसल उत्सव के रूप में मनाया जाता है। यह उत्सव अधिकतर 13 या 14 अप्रैल को मनाया जाता है और लोग साल की पहली फसल काट कर भगवान को शुक्रिया करते हैं और जश्न मनाते हैं।
आइये, अब एक नज़र डालते है देश के अलग-अलग राज्यों में, जहां इस उत्सव को पूरे जोश के साथ मनाया जाता है-
बैसाखी
पंजाब में बैसाखी हर साल 14 अप्रैल को मनाई जाती है। ऐसा माना जाता है कि साल 1699 में सिखों के दसवें गुरु गोबिंद सिंह ने खालसा समाज की स्थापना की थी। इस उत्सव को पंजाब, हरियाणा और दिल्ली में काफी धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन सिख समुदाय के लोग भगवान को अच्छी फसल के लिए शुक्रिया करते हैं और लोक गीत गाकर, भंगड़ा और गिद्दा कर के जश्न मनाते हैं।
विशु
केरल और कर्नाटक के कई हिस्सों में 14 अप्रैल को विशु उत्सव मनाया जाता है। इस दिन लोग घर को दीपक और रोशनी से सजाते हैं, पटाखे फोड़ते हैं, नये कपड़े खरीदते हैं और उपहार में पैसे देते हैं। इस उत्सव की खास बात दिन का पहला दृश्य होता है, इसलिए लोग घर के मंदिर में समृद्धि लाने वाली चीज़ें रखते हैं, जैसे चावल, फल, सब्ज़ियां, सुपारी, मैटल का शीशा, पीले फूल, पवित्र ग्रंथ औऱ सिक्के। इन सब चीज़ों को विशु से एक रात पहले सजाया जाता है और माना जाता है कि अगले दिन विशु पर भगवान विष्णु की पहली दृष्टि पड़ती है।
भक्त सबरीमाला अय्यप्पन और गुरुवायूर मंदिरों में सुबह 3.30 बजे के आसपास ब्रह्म मुहूर्त के दौरान ‘विशुक्खनी कच्छ’ के दर्शन के लिए इकट्ठे हो जाते हैं।
बिहू
मणिपुर और बंगाल समेत असम के लोग साल में तीन बार बिहू मनाते हैं, जो खेती के विभिन्न चक्रों – भोगली / माघ बिहू (जनवरी), बोहाग / रोंगाली बिहू (अप्रैल) और कोंगाली बिहू (अक्टूबर) को दर्शाता है। बोहाग बिहू के दिन, लोग कई तरह के पकवान तैयार करते हैं और आपस में सगे संबंधियों को दावत और उपहार देते हैं और बड़ों से आशीर्वाद मांगते हैं। इस दिन लोग जश्न मनाने के लिए पारंपरिक बिहू नृत्य करते हैं।
पुथांडू
पुथांडू का त्योहार तमिलनाडु सहित श्रीलंका, मॉरीशस, मलेशिया, और सिंगापुर के लोगों के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है क्योंकि तमिल कैलेंडर के हिसाब से भी इस दिन नये साल की शुरुआत होती है। नये साल के स्वागत में लोग अपने घरों की साफ सफाई करते हैं और घरों को फूलों और लाइटों से सजा देते हैं। सभी लोग सवेरे स्नान करने के बाद नए कपड़े पहन कर पास के मंदिर में पूजा करने जाते हैं और भगवान से सुख-शांति की कामना करते हैं।
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