भगवान महावीर हमेशा की तरह एक जगह से दूसरी जगह सफर कर रहे थें। वह ध्यान करने के लिये एक बड़े पेड़ के नीचे रुक गये। जब वह ध्यान कर रहे थें, तब वहां एक गाय चराने वाला अपनी गायों के साथ आया। गाय चराने वाला चाहता था कि कोई गायों की देखभाल करें ताकि वह कुछ काम कर सकें।
गाय चराने वाले ने भगवान महावीर से पूछा कि क्या वह कुछ घंटो के लिये उसकी गायों की देखभाल करेंगे।
भगवान महावीर गहरे ध्यान में थें, इसलिये उन्होंने जवाब नहीं दिया। गाय चराने वाला यह सोचकर चला गया कि भगवान महावीर ने उसकी बात सुन ली है।
चरवाहे की गाय हुई गायब
कुछ ही घंटो के बाद चरवाहा वापस लौटा, तो उसकी सभी गायें गायब थी। उसने भगवान महावीर से पूछा, “ मेरी गायें कहां हैं?” आपने उनके साथ क्या किया?
भगवान महावीर अभी भी ध्यान में थें और उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया। चरवाहा हैरान परेशान अपनी गायों की तलाश करने लगा लेकिन गायें कहीं नहीं मिली।
जब वह महावीर भगवान के पास वापस आया, तो देखा कि उसकी सभी गायें भगवान महावीर के पास खड़ी थी। तब भी भगवान महावीर गहरे ध्यान में थें। गाय के झुंड को देखकर चरवाहे को बहुत गुस्सा आया और वह गुस्से में भगवान महावीर को कोड़ा मारने वाला ही था कि तभी स्वर्ग से एक देवदूत नीचे आया और उसने रस्सी को पकड़ लिया।
देवदूत की समझदारी
स्वर्ग से आये दूत ने कहा, “ आप देख सकते हैं कि भगवान महावीर गहरे ध्यान में हैं।“
चरवाहे ने कहा, “लेकिन उसने मुझे धोखा दिया है। उसने मेरे गायों को छिपाने की कोशिश की हैं।“
देवदूत ने जवाब दिया कि क्या उन्होंने आपको कहा कि वह गायों की देखभाल करेगें? आपने कैसे उन्हें चोट पहुंचाने के बारे में सोच सकते हो?
चरवाहे को अपनी गलती का एहसास हुआ। उसने भगवान महावीर से माफी मांगी और चुपचाप वहां से चला गया।
महावीर भगवान के मन में किसी के प्रति कोई बुरी भावना या गुस्सा नहीं था।
ज़िंदगी में सोच सही करिये
यह कहानी हमें सिखाती है कि हमें जल्दबाज़ी में कोई फैसला नहीं लेना चाहिये। जल्दबाज़ी में लिये फैसले कई बार गलत हो जाते हैं। फिर गलत फैसले दूसरों को दुख पहुंचाते हैं और हमें किसी को भी दुख देने का कोई अधिकार नहीं है। गुस्से में तुरंत रिएक्ट करने के बजाय शांति से सोचें।
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