किसी भी खेल का जिक्र होता है, तो आमतौर पर हमारे ज़ेहन में ऐसे खिलाड़ियों की तस्वीर उभरती है जो शारीरिक रूप से बिल्कुल फिट होते हैं। पर दुनिया में ऐसे बहुत से खिलाड़ी है, जो शारीरिक रूप से सक्षम न होते हुए भी खेल की दुनिया में बड़े-बड़े कारनामे करते रहते हैं, हालांकि उन्हें उतनी शोहरत नहीं मिल पाती जितना की अन्य खिलाड़ियों को। खेल की दुनिया में कीर्तिमान रचने वाली ऐसी ही एक दिव्यांग खिलाड़ी हैं दीपा मलिक।
खेल रत्न जीतने वाली पहली महिला पैरा- एथलीट
पैरा-एथलीट दीपा मलिक को हाल ही में राजीव गांधी खेल रत्न अवॉर्ड से सम्मानित किया गया है। यह सम्मान पाने वाली वह पहली महिला पैरा एथलीट हैं। दीपा मलिक ने रियो पैरालम्पिक-2016 में शॉट पुट में सिल्वर मेडल जीतकर देश का मान बढ़ाया था। इसके अलावा वह एशियन गेम्स में भालाफेंक और शॉटपुट में ब्रॉन्ज मेडल चुकी हैं। दीपा के कमर के नीचे का हिस्सा काम नहीं करता, मगर इससे उनके बुलंद इरादों पर कोई फर्क नहीं पड़ता। दीपा ने एक इंटरव्यू के दौरान बताया कि खेल रत्न उनके पिता का सपना था और इसके लिए आवेदन भी उनके पिता ने ही किया था, मगर पिछले साल ही उनका देहांत हो गया। दीपा ने यह सम्मान अपने पिता को समर्पित किया है।
नहीं टूटा हौसला
आमतौर पर जब हमें पैर में थोड़ी सी चोट लग जाती है तब हम ठीक से चल नहीं पाते, मगर पैरा एथलीट के तो शरीर का कुछ हिस्सा बिल्कुल काम नहीं करता है, फिर भी वह किसी सामान्य खिलाड़ी की तरह पूरी निष्ठा और लगन के साथ खेलते हैं। दीपा व्हीलचेयर पर भले बैठी हों, मगर अपने खेल की बदौलत वह बुलंदियों को छू रही हैं। शॉटपुट और जेवलिन थ्रो के अलावा वह स्वीमिंग, मोटर और बाइक रेसलिंग भी करती हैं।
जोश है बरकार
ट्यूमर की वजह से दीपा के 31 ऑपरेशन हुए हैं और उनके कमर से नीचे का हिस्सा लकवाग्रस्त है। दरअसल, 17 साल पहले रीढ़ में ट्यूमर हो गया था और इसकी वजह से 31 ऑपरेशन हुए थे। उनके कमर और पांव के बीच में 183 टांके लगे थे। इतने दर्द के बावजूद खेल के प्रति उनका जूनन और प्यार कम नहीं हुआ है। आर्मी ऑफिसर की पत्नी दीपा दो बच्चों की मां है और 48 साल की उम्र में भी उनका जोश बरकरार है।
जारी रहेगा सफर
दीपा मलिक को टोकियो पैरालंपिक में मौका नहीं मिला, लेकिन वह शांत बैठने वालों में से नहीं है। अब उन्होंने एडवेंचर स्पोट्र्स में समुद्र पार करने की सोची है। जिसके लिए मालद्वीव जाकर इसकी तैयारी कर रही हैं। दीपा 2022 के ओलंपिक में भी खेलना चाहती है, जिससे जाहिर होता है कि उनका जोश और उत्साह कितना अधिक है।
दीपा से सीखे जीवन जीने का सही तरीका
- मुश्किल से मुश्किल हालात में हिम्मत न हारे।
- एक रास्ता बंद हो जाए तो दूसरा तलाशें।
- शारीरिक कमी का रोना रोने की बजाय उसे भुलाकर खुद को आगे बढ़ाएं।
- उम्र और हालात को अपने जोश और उत्साह को कम न करने दें।
इमेज : फेसबुक
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