एक तरफ जहां राज्य में सबरीमाला की वजह से उथल-पुथल मची थी, वही दूसरी तरफ टैक्सी और ऑटो रिक्शा ड्राइवर्स ने चेरुटुटी और शोरानुर में इस समय का सही इस्तेमाल किया। लोगों की दिक्कतों को देखते हुए ड्राइवर्स ने शहर की मुख्य सड़कों पर बड़े-बड़े गड्ढों को भरने की ज़िम्मेदारी अपने कंधों पर ली।
इन्होंने किया कारनामा
इस काम को पूरा करने में के राशिद, एस.ए अनी, ए.पी प्रतीश, ए.पी प्रदीप, वी.जी मनिकंदन और वी.के कुट्टन ने मुख्य रूप से भूमिका निभाई। एसएमपी जंक्शन और ओल्ड कोच्चीन ब्रिज के बीच कई गड्ढे थे, जिससे आम लोगों को रोज़ उस रास्ते से आने जाने में परेशानी होती थी।
अक्सर होती थी दुर्घटनाएं
सड़क की स्थिति और बहुत ज्यादा ट्रैफिक की वजह से इस रास्ते पर अक्सर दुर्घटनाएं हो जाती थी। अगर कभी किसी की गाड़ी की स्पीड थोड़ी भी ज्यादा होती, तो दुर्घटना का अंदेशा बहुत ज्यादा हो जाता था। इसलिए लोगों को खासकर रात में इस रास्ते पर ड्राइविंग के दौरान अधिक सतर्क रहना पड़ता था ताकि गाड़ी गड्ढे में ना फंसे।
इसके अलावा लोगों की गाड़ी अगर खराब हो जाती या किसी को मेडिकल मदद की जरूरत होती, तो इमरजेंसी सर्विस जैसे एम्बुलेंस या फायर ब्रिगेड की गाड़ियां भी सड़क पर बड़े-बड़े गड्ढे रहने के कारण फंसी रह जाती थी और खासकर मरीजों के लिए ये एक बड़ी समस्या थी। इस वजह से आमतौर पर लोग लंबा रूट अपनाना ही जरूरी समझते थे।
ड्राइवर्स को सबसे अधिक होती थी समस्या
सड़क के गड्ढ़ों से परेशान ड्राइवर ने कहा कि सड़क में गड्ढों की वजह से अक्सर प्रेग्नेंट महिलाओं को हम जल्दी अस्पताल नहीं पहुंचा पाते हैं, जो एक बड़ी समस्या है। इसके साथ ही बड़े बुजुर्गों को भी इस सड़क से लेकर जाना बहुत मुश्किल हो जाता था।
लोगों को भी मिली राहत
हड़ताल पर गए ड्राइवर्स ने न सिर्फ समय का सही इस्तेमाल करते हुए एक शानदार काम किया बल्कि इससे उन लोगों को भी राहत मिली, जो रोज़ाना इस सड़क का इस्तेमाल करते है। देखा जाए, तो देश में आए दिन किसी न किसी वजह से हड़ताल होती ही रहती है और अगर हम लोग भी इन घटनाओं से सीख लें, तो शायद कई छोटी-छोटी समस्याओं का निपटारा हो सकता है।
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