कैंसर एक ऐसी बीमारी है, जिसके इलाज संभव है। अगर इस बीमारी का पता शुरूआती स्टेज में ही चल जाये, तो न सिर्फ रोगी को बचाया जा सकता है, बल्कि बीमारी को भी जड़ से निकाला जा सकता है। कैंसर के सेल्स का शुरूआती स्टेज में पता चल जाये, इस पर कई वैज्ञानिक काम कर रहे हैं। इसी कोशिश में पुणे के वैज्ञानिकों ने एक ऐसा टेस्ट डिस्कवर किया है, जिसकी मदद से फेफेडों, ब्रेस्ट, कोलोरेक्टल, हेड एवं नेक के सर्क्युलेटिंग ट्यूमर सेल्स का शुरुआती चरण में ही पता चल जायेगा।
जानिये टेस्ट के बारे में
इस टेस्ट का नाम ‘ऑनकोडिस्कवर’ है और यह लिक्विड बायोप्सी टेक्नोलॉजी है। ऐसा माना जा रहा है कि यह दुनिया का सबसे तेज़ कैंसर सेल्स डिटेक्ट करने वाला टेस्ट है। ऑनकोडिस्कवर टेक्नोलॉजी को देश की फार्मासूटिकल और मेडिकल डिवाइस की रेग्युलेटरी बॉडी ‘सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल’ ऑर्गनाइज़ेशन ने अप्रूव कर दिया है।
इस तकनीक से भारत में लोगों को कैंसर होने का जल्दी पता चल जायेगा। इससे समय पर इलाज होने का चांस ज़्यादा बढ़ेगा।
एक्टोरियस ने बनाया स्वदेशी टेस्ट
यह पूरी तरह से स्वदेशी तकनीक है, जो बेहतर, तेज़ और किफायती है। इस स्टार्टअप को हाई रिस्क इनोवेशन्स के लिए डिपार्टमेंट ऑफ बायोटेक्नोलॉजी की इंडस्ट्री स्पोर्ट विंग, बायोटेक्नोलॉजी इंडस्ट्री रिसर्च असिस्टेंस काउंसिल ने फंड किया है। एक्टोरियस की टीम को डॉक्टर खंदारे और अरविंदम वासुदेवम लीड कर रहे हैं।
इस नई तकनीक को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पेटेंट करवा दिया गया है । इसको कई क्लिनिकल ट्रायल्स के माध्यम से ‘क्लिनिकली वैलीडेट’ कर दिया गया है। डॉ पंकज चतुर्वेदी, मुंबई के टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल में प्रसिद्ध ऑन्कोलॉजिस्ट और डिप्टी डायरेक्टर ने भी इसका क्लिनिकल ट्रायल किया था।
यह खोज देती है जीवन को सही सोच
– अगर ढृढ़-निश्चय हो, तो हर चीज़ संभव है।
– लक्ष्य को पाने में समय लग सकता है, लेकिन आपको डटे रहना होगा।
इमेज : इंडिया टुडे
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